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Uttarakhand Government Happy Independence Day
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उत्तराखण्ड

रूद्रप्रयाग

पहाड़ से नौकरी के लिए गया शहर, नहीं लगा मन तो चुनीं देशसेवा की राह, अब चुना गया बेस्ट रिक्रूट

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यूं ही नहीं सैन्य धाम को देवभूमि उत्तराखंड के पांचवे धाम की संज्ञा दी गई है। इसके पीछे राज्य के वे सभी जवान शामिल हैं जो सेना में जाकर देशसेवा कर रहे हैं। इतना ही नहीं राज्य के ये वीर सपूत मातृभूमि की रक्षा के लिए हर समय अपने प्राण न्यौछावर करने को तैयार भी रहते हैं। बात अगर भारतीय सेना में राज्यों के प्रतिनिधित्व की करें तो जनसंख्या घनत्व के हिसाब से देवभूमि उत्तराखंड का स्थान सर्वोपरि है जहां कम जनसंख्या घनत्व होने के बावजूद भी सेना में राज्य के युवाओं की भागीदारी किसी से छिपी नहीं है। एक सिपाही से लेकर सेना के सबसे ऊंचे पद सेना प्रमुख तक राज्य के युवा अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही बेटे से रूबरू करा रहे हैं जो हाल ही में सेना में भर्ती हुआ है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं रूद्रप्रयाग जिले के रहने वाले विपिन सिंह की। जिन्होंने हाल ही में अपने 158 नवप्रशिक्षित जवानों के साथ हर कीमत पर देश सेवा करने की कसम खाई है। विपिन की इस सफलता से उनके गृहक्षेत्र में हर्षोल्लास का माहौल है। गौरतलब है कि यह सभी 159 नवप्रशिक्षित जवान हाल ही में गढ़वाल राइफल का हिस्सा बने हैं।




प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के रूद्रप्रयाग जिले के जखोली ब्लॉक में स्थित उरोली गांव के रहने वाले विपिन सिंह राणा शनिवार को भारतीय सेना के गढ़वाल राइफल्स का हिस्सा बने हैं। शनिवार को विपिन न सिर्फ अपने 158 साथियों के साथ भारतीय सेना का हिस्सा बने बल्कि उन्हें पूरे प्रशिक्षण में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए स्वर्ण पदक से भी नवाजा गया। बताते चलें कि सेना में भर्ती होने से पहले भी वह सेना की ट्रैनिंग जितनी ही कठिन जिंदगी जी चुके हैं। सात भाई-बहनों में सबके चहेते विपिन इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉब करने के लिए घर से बाहर शहर में चले गए थे लेकिन वहां की भागदौड़ भरी जिंदगी उन्हें पसंद नहीं आई। इसी दौरान उन्होंने तय किया कि अब मैं देश के लिए कुछ करूंगा और फिर अपने इसी सपने को हकीकत में बदलने के लिए वह घर वापस आकर सेना में भर्ती होने के लिए कड़ी मेहनत करने लगे। उनकी कठिन मेहनत उस समय रंग लाई जब उन्होंने भर्ती रैली में बाजी मारकर अपने सपनों को हकीकत में बदलने की पहली सीढ़ी पार की‌। बताते चलें कि विपिन के पिता मोर सिंह राणा गांव में ही मजदूरी करते हैं जबकि उनकी मां रुकमणी देवी ग्रहणी हैं। विपिन की इस सफलता से ‌परिवार सहित पूरे गांव में हर्षोल्लास का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि विपिन ने प्रशिक्षण में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर गांव का नाम रोशन किया है।




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