Connect with us
Uttarakhand Government Happy Independence Day
alt="uttarakhand virendra Rawat farming"

उत्तराखण्ड

पौड़ी गढ़वाल

उत्तराखण्ड: सेवानिवृत्त होकर लौटे पहाड़, बंजर खेतों को किया आबाद अब हो रही अच्छी खासी कमाई

uttarakhand: बिरेंद्र की हाड़-तोड़ मेहनत से बंजर जमीन भी उगल रही ‘सोना’, पहले जो लोग उड़ाते थे मजाक, आज वही कर रहे तारीफ..alt="uttarakhand virendra Rawat farming"

जहां एक तरफ देवभूमि उत्तराखंड (devbhoomi uttarakhand) के युवा रोजगार की तलाश में पहाड़ों से पलायन कर रहे हैं वहीं राज्य (uttarakhand) में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी लगन और मेहनत के दम पर जमीन से‌ सोना उगलवाने में सफल रहे हैं। राज्य (uttarakhand) के इन मेहनतकश वाशिंदों की जितनी भी तारीफ की जाए उतनी ही कम है। आज हम आपको एक ऐसे ही उत्तराखण्डी से रूबरू करा रहे हैं जिसने अपनी भरी जवानी सेना में रहकर देशसेवा को समर्पित कर दी और अब रिटायर्ड होकर पहाड़ में रहकर न सिर्फ खेती कर रहे हैं अपितु कड़ी मेहनत से फसल रूपी सोना उगले रहे उनके खेत रोजगार के बहाने पलायन करने वाले युवाओं को आईना भी दिखा रहे हैं और इससे उन्हें अच्छी खासी कमाई भी हो रही है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य (uttarakhand) के पौड़ी गढ़वाल जिले के निवासी बिरेंद्र सिंह रावत की, जिन्होंने अपने मेहनत, लगन और बुलंद होंसले के दम पर बंजर पड़ चुके अपने खेतों को सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद फिर से हरा भरा कर दिया है। यह उनकी हाड़-तोड़ मेहनत का ही परिणाम है कि जिन खेतों में ऊंची-ऊंची झाड़ियां उग आई थीं और वे जंगली जानवरों का ठिकाना बन चुके थे, उन्हीं खेतों में अब दोबारा फसल लहलहाने लगी है। जो लोगों पहले बिरेंद्र को बंजर खेतों में मेहनत करता देख उनका मजाक उड़ाते थे वहीं लोग आज बिरेंद्र की लगन और बुलंद हौसलों की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।


यह भी पढ़ें: उत्तराखण्ड: चार साल पहले तक भीख मांगती थी चांदनी, अब मुख्य अतिथि बन बयां की अपनी दास्तां

20 बीघा जमीन पर लहलहा रही आलू, मटर और मसूर की फसल:- प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य (uttarakhand) के पौड़ी गढ़वाल जिले के कल्जीखाल विकासखंड के निलाड़ा गांव निवासी बिरेंद्र सिंह रावत भारतीय सेना के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मेकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई) विभाग में 22 साल नौकरी करने के बाद 31 जुलाई 2017 को हवलदार पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें कई जगह से नौकरी का ऑफर मिला पर उन्होंने स्वीकार नहीं किया। इसके पीछे का कारण बताते हुए वह कहते थे कि अब वह शहर के जीवन से परेशान हो गए हैं और गांव लौटकर माटी का कर्ज अदा करना चाहते हैं। इसके बाद गांव आकर उन्होंने अपनी बंजर जमीन को आबाद करने की ठानी और अपने खेतों के साथ ही उन्होंने गांव छोड़ चुके अन्य लोगों की जमीन पर उगी झाड़ियों को काटना शुरू किया। फिर बैल आदि खरीदकर खेतों को आबाद करने में लग गए, जैसे तैसे कड़ी मेहनत करके उन्होंने अपने खेत आबाद तो कर लिए परंतु अब जंगली जानवर उनकी मुसीबत बन गए। फिर उन्होंने फसलों को बचाने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों को गुहार लगाई तब जाकर कृषि विभाग ने उनके द्वारा आबाद की गई जमीन पर तारबाड़ करा दी। बताते चलें कि उद्यान विभाग की मदद से रावत ने जहां इस समय करीब 20 बीघा जमीन पर आलू, मटर और मसूर की खेती की है वहीं पांच नाली भूमि पर आम और लीची के पेड़ भी लगाए हैं।


यह भी पढ़ें: उत्तराखण्ड: अमेरिकन कंपनी की नौकरी छोड़ ललित लौटे अपने पहाड़ और अब कर रहे हैं मशरूम की खेती

लेख शेयर करे

More in उत्तराखण्ड

Advertisement

UTTARAKHAND CINEMA

Advertisement Enter ad code here

PAHADI FOOD COLUMN

UTTARAKHAND GOVT JOBS

Advertisement Enter ad code here

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Advertisement Enter ad code here

Lates News

To Top