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Dehradun Safety Index: देहरादून देश के टॉप 10 असुरक्षित शहरों में शामिल सुरक्षित नहीं बेटियां महिलाएं
Dehradun women safety report: महिलाओं के लिए असुरक्षित राजधानी बना देहरादून, देश के टॉप 10 में शामिल, रिपोर्ट पर उठने लगे सवाल…
woman girls not safe in dehradun report including women safety index top 10 cities latest news today: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के लिए एक झटके की खबर सामने आ रही है कि देश के तमाम शहरों में महिला सुरक्षा को लेकर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की गई है। दरअसल राष्ट्रीय वार्षिक महिला सुरक्षा रिपोर्ट एवं सूचकांक की जारी रिपोर्ट मे देश के 10 सबसे असुरक्षित शहरों में राजधानी देहरादून को भी शामिल किया गया है। हालांकि इसके बाद से ही नई रिपोर्ट 2025 के सर्वे पर सवाल उठने लगे हैं। इतना ही नहीं बल्कि उत्तराखंड राज्य महिला आयोग इस रिपोर्ट को फर्जी बता रहा है वहीं कांग्रेस इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार को घेरे हुए है।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय वार्षिक महिला सुरक्षा रिपोर्ट एवं सूचकांक ने एक वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट को देश के 31 शहरों में 12 ,770 महिलाओं पर सर्वे कर तैयार किया गया है। सर्वे रिपोर्ट में महिलाओं की सुरक्षा धारणा, उत्पीड़न की घटनाओं और अन्य समस्त पहलुओं को भी शामिल किया गया है जिसमें देहरादून की स्थिति बेहद चौंका देने वाली है। राष्ट्रीय वार्षिक महिला सुरक्षा रिपोर्ट एवं सूचकांक नारी 2025 के अनुसार देश का राष्ट्रीय सुरक्षा प्रतिशत 64.6 फीसदी है। सुरक्षा के मामले में देहरादून 60.6 फीसदी के साथ 24 वें स्थान पर है जबकि महिला असुरक्षित शहरों में देहरादून टॉप 10 पर है । सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून शहर में 21 फीसदी महिलाओं का शारीरिक और 10 फीसदी महिलाओं का मानसिक उत्पीड़न हो रहा है।
महिला सुरक्षा मामले मे पिछड़ा देहरादून (Dehradun lags behind in women safety matters)
इसके साथ ही 19 फीसदी महिलाओं को पड़ोसियों और 13 फीसदी महिलाओं से कार्यस्थल में उत्पीड़न की बात सामने आई है।उत्पीड़न का शिकार करीब 40 फ़ीसदी महिलाओं ने तो शिकायत करने के बजाय उस क्षेत्र में जाना ही छोड़ दिया है ,जबकि 26 फ़ीसदी महिलाओं ने उत्पीड़न की शिकायत अधिकारियों को दी और सिर्फ चार फीसदी उत्पीड़न की शिकार महिलाओं ने पुलिस विभाग से मदद मांगी।बताते चले देहरादून में दिन और रात के समय सुरक्षा को लेकर महिलाओं की अलग-अलग धारणाएं हैं जिसके लिए 70 फीसदी महिलाओं का कहना है कि वह दिन में सुरक्षित महसूस करती हैं। रात में सुरक्षित महसूस करने वाले महिलाओं का अनुपात 44 फीसदी है। रात के समय 33 फ़ीसदी महिलाएं सामान्य और 14 फ़ीसदी महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं।
उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने महिला सुरक्षा को लेकर कहीं बड़ी बात
कुसुम कंडवाल का कहना है कि इस रिपोर्ट को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष से उनकी बात हो गई है। बातचीत के दौरान आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि इस तरह का कोई सर्वे नहीं किया गया है। उत्तराखंड के साथ देहरादून में भी महिलाएं पूरी तरह से सुरक्षित है महिलाओं के साथ सरकार खड़ी है। इसके साथ ही महिलाओं के बीच जाकर राज्य महिला आयोग काम कर रहा है। वहीं भाजपा विधायक आशा नौटियाल ने सरकार का बचाव कर कांग्रेस पर छवि खराब करने का आरोप लगाया है।
प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस गरिमा दसौनी जाने क्या कहा मामले को लेकर
गरिमा दसौनी ने कहा कि भाजपा के नेता इस तरह की घटनाओं मे लिफ्त पाए जाते हैं एक तरह से जंगल राज कायम हो गया है। किंतु दुर्भाग्य की बात यह है कि रिपोर्ट को ही नकार दिया जा रहा है। जिस रिपोर्ट को लेकर राज्य महिला आयोग कुसुम कंडवाल कह रही है कि इस तरह का कोई सर्वे ही नहीं हुआ है उस रिपोर्ट की बात पूरा उत्तराखंड कर रहा है। उनका कहना है कि दूसरों के कहने पर नेत्रियां कठपुतलियों की तरह बयान देने लगते हैं।
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