uttarakhand mool niwas 1950: पहाड़ियों की दहाड़ से डोल उठी देहरादून की धरती, अपने हकों की लड़ाई लड़ने सड़कों पर उतरा विशाल जनसैलाब….
uttarakhand mool niwas 1950
उठा जागा उत्तराखंड्यूं सौं उठाणों वक्त ऐगे…
उत्तराखण्ड कू मान सम्मान बचाणू कू वक्त ऐगे…
उत्तराखण्ड के सुप्रसिद्ध लोकगायक एवं गणरत्न नरेंद्र सिंह नेगी का यह गीत एक बार फिर रविवार 24 दिसंबर को देहरादून की सड़कों पर सुनाई दिया। देहरादून की सड़कों पर उतरे विशाल पहाड़ी जनसैलाब को देखकर मानो फिर से उत्तराखण्ड का वहीं पृथक राज्य आंदोलन याद आ गया जिसके लिए सैकड़ों वाशिंदों ने अपनी शहादत दी थी। वाकई मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति द्वारा आयोजित रविवार को देहरादून में आयोजित मूल निवास सवाभिमान रैली की तस्वीरों ने आज उत्तराखंड के एक सुनहरे भविष्य की ऐसी तस्वीर पेश की जिसकी कल्पना कभी राज्य आंदोलनकारियों ने सड़कों पर उतर कर की थी। क्या बच्चे क्या बुर्जुग, युवाओं से लेकर महिलाओं बेटियों तक सभी ने बड़ी संख्या में इस रैली में भाग लेकर अपनी हक की लड़ाई का ऐलान कर दिया। ये तो रही रविवार को देहरादून में आयोजित हुई मूल निवास स्वाभिमान समिति की बात, लेकिन क्या आपको पता है कि मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति की वो वास्तविक मांगे हैं क्या जिसके लिए उत्तराखण्ड की जनता सामूहिक रूप से सड़कों पर उतर पड़ी।
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