उत्तराखंड: दीक्षा ने अपनी ऐपण कला से उत्तराखंड संस्कृति का विदेशों तक लहराया परचम
Published on
By
आज देवभूमि उत्तराखंड के प्रतिभावान युवा न सिर्फ अपनी बोली-भाषा, सभ्यता-संस्कृति को सहेजने के लिए प्रयासरत हैं बल्कि पहाड़ की पारम्परिक विरासतों को भी अपने हुनर के बलबूते विश्वस्तर पर नई पहचान दिला रहे हैं। यही कारण है कि एक समय विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी कुमाऊं की पारम्परिक लोक विरासत ऐंपण को अब देश-विदेश में पसंद किया जा रहा है। उत्तराखण्ड का होनहार युवा न सिर्फ ऐंपण के माध्यम से नए-नए उत्पादों यथा कैनवास, मांगलिक चौकी, ऐंपण फ्रेम, फ्लावर पोट, नेम प्लेट आदि की सजावट कर रहे हैं बल्कि पहाड़ की इस अनमोल विरासत का प्रचार-प्रसार कर आत्मनिर्भरता की ओर भी कदम बढ़ा रहे हैं। आज हम आपको पहाड़ की एक और ऐसी ही होनहार बेटी से रूबरू करा रहे हैं जो इन दिनों सोशल मीडिया के माध्यम से अमेरिका में रहने वाली महिलाओं को ऐंपण का आनलाइन प्रशिक्षण दे रही है बल्कि अब कुमाऊं के बड़े-बड़े कारोबारी भी उसे नए-नए ऐंपण, ऐंपण वाली राखी की डिमांड कर रहे हैं। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के पिथौरागढ़ जिले की रहने वाली दीक्षा मेहता(Diksha Mehta) की, जिसने अपनी बेेहतरीन ऐंपण कला (Aipan art) के दम पर देश-दुनिया में पहचान बनाई है। रक्षाबंधन के अवसर पर ऐंपण वाली राखियां बना चुकी दीक्षा इन दिनों चौकी, घड़ो, सुरई, थाली, काफी मग, कुशन कवर व बोतलों में ऐंपण बना रही हैं।
यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड- ऐपण लोककला को एक नया आयाम दे रही हैं अभिलाषा, देखिए बेहद खुबसूरत तस्वीरें
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के पिथौरागढ़ जिले के डुंगरी गांव निवासी आनंद सिंह मेहता एक रिटायर्ड हवलदार है और वर्तमान में नैनीताल जिले की हल्द्वानी तहसील के हरिपुर नायक में किराये पर रहते हैं। बताया गया है कि आनंद कि छोटी बेटी दीक्षा मेहता इन दिनों एक ओर तो एसएसजे कैंपस अल्मोड़ा पढ़ाई कर रही है वहीं दूसरी ओर अपने बचपन के शौक ऐंपण को पेशे में बदलकर अपनी आर्थिकी भी मजबूत कर रही है। दीक्षा कहती हैं कि इसके लिए उन्होंने पिछले साल फेसबुक पर लिल आर्ट गैलरी नाम से अकाउंट बनाया। उसके बाद वह इस अकाउंट पर खुद के द्वारा बनाई गई ऐंपण के सुंदर चित्र लोगों के साथ साझा करने लगी। करीब चार महीने पहले अमेरिका में रहने वाली ज्योति सीखा नामक महिला ने भी उसके ऐंपण चित्रों को देखकर उससे सम्पर्क किया और आनलाइन ऐंपण सीखने की फरमाइश की। दीक्षा बताती है कि ज्योति सीखा मूल रूप से कनार्टक की रहने वाली है और पिछले चार महीनों से उससे ऐंपण सीख रही हैं जिसके लिए वह प्रतिमाह पांच हजार रुपए का शुल्क भी अदा करती है। बता दें कि दीक्षा ने राखी के अवसर पर ऐंपण वाली राखियां भी बनाई जिन्हें न सिर्फ लोगों द्वारा खासा पसंद किया गया बल्कि हल्द्वानी के साथ ही पिथौरागढ़, चम्पावत व मुरादाबाद के दुकानदार भी उन्हें राखी के लिए आर्डर देने लगे। दीपावली के अवसर पर भी कुमाऊं के बड़े-बड़े दुकानदारों ने उन्हें ऐंपण बनी चौकियों आदि के आर्डर दिए हैं।
यह भी पढ़ें- उतराखण्ड: ममता ने पहाड़ की संस्कृति को संजोए हुए तैयार की खूबसूरत ऐपण राखियाँ
Bageshwar thuk Jihad video: उत्तराखंड में पनप रहा थूक जिहाद, बागेश्वर उत्तरायणी मेले मे रोटी बनाते...
Dehradun satya prakash murder case : राजधानी देहरादून के एलएलबी के छात्र की मौत, विश्वविद्यालय प्रशासन...
Haldwani to Prayagraj Bus : महाकुंभ के लिए हल्द्वानी से प्रयागराज के लिए शुरू हुई वोल्वो...
Tehri Garhwal news hindi भतीजे की शादी में गया था दंपति, अंगीठी की गैस लगने से...
Bhimtal lake news today: पिता की डांट से नाराज़ होकर किशोरी ने छोड़ा घर, भीमताल झील...
Pithoragarh cylinder blast today: रसोई में रखा सिलेंडर तेज धमाके के साथ फटा, आग की चपेट...