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उतराखण्ड: ममता ने पहाड़ की संस्कृति को संजोए हुए तैयार की खूबसूरत ऐपण राखियाँ

Mamta Joshi Aipan rakhi: पिथौरागढ़ जिले की युवा शिक्षिका ममता जोशी ने तैयार की खूबसूरत ऐपण राखियाँ

ऐपण, पहाड़ी संस्कृति की एक ऐसी विरासत जो प्राचीन समय से चली आ रही है। पहाड़ में कोई भी मांगलिक कार्य बिना ऐपण डाले हो जाए, ये कैसे हो सकता है क्योंकि ऐपण तो हमारे रीति-रीवाजों, हमारी परम्परा का अभिन्न अंग है। हालांकि इस आधुनिक युग में हम अपनी इस विरासत को भूलते जा रहे हैं, गेरू और चावल के आटे के घोल से डाले जाने वाले इन ऐपणों की जगह अब स्टीकरों ने ले ली है परन्तु देवभूमि के कुछ युवा ऐसे भी हैं जो पहाड़ की इस विरासत को बचाने के लिए प्रयासरत हैं। इन युवाओं में सबसे बड़ा नाम है ऐपण गर्ल मीनाक्षी खाती का। आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही युवा शिक्षिका से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो लगातार पहाड़ की इस अनमोल विरासत को सहेजने का काम कर रही है। जी हां हम बात कर रहे हैं राज्य के पिथौरागढ़ जिले की रहने वाली ममता जोशी की, यह ममता की रचनात्मक कला का ही परिणाम है कि उन्होंने विभिन्न वस्तुओं में पारम्परिक ऐपणों को उतारकर न सिर्फ पहाड़ की इस विरासत का प्रचार-प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है अपितु मांगलिक चौकी, ऐपण फ्रेम, फ्लावर पोट आदि जैसे क‌ई उत्पादों पर ऐपण उतारकर स्वरोजगार की संभावना पर भी बल दिया है। अब युवा शिक्षिका ममता अपने इस अभूतपूर्व कार्य को ऐपण राखियों (Mamta Joshi Aipan rakhi) के रूप मे लोगों तक पहुंचा रही हैं।
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ममता ने कोरोना की आपदा को बदला अवसर में, ऐपण को बनाया आय का साधन, ममता की ऐपण वाली राखियां आ रही सबको पसंद:- प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के पिथौरागढ़ जिले के बड़ाबे गांव की रहने वाली ममता जोशी एक निजी विद्यालय में शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं। बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ वह उन्हें अपनी लोककला ऐपण से भी रूबरू कराती है। इतना ही नहीं वह खुद भी कुमाऊं की इस विलुप्त होती लोककला को सहेजने के लिए प्रयासरत हैं। उनका यह प्रयास क्षेत्रवासियों को भी खासा पसंद आ रहा है। वह अब तक न जाने कितने ही साजों-सामान पर ऐपण डालकर उनकी सुन्दरता पर चार चांद लगा चुकी है। कोरोना महामारी के इस दौर में जबकि निजी स्कूलों के शिक्षक-शिक्षिकाएं वेतन के लिए तरस रहे हैं ‌ ऐसे समय में ममता ने इस आपदा के समय को अवसर में बदलते हुए ऐपण वाली राखियां बनानी शुरू की। उनके द्वारा बनाई गई इन विशेष प्रकार की राखियों को न सिर्फ स्थानीय लोगों द्वारा खासा पसंद किया जा रहा है बल्कि ममता की यह राखियां सोशल मीडिया पर भी काफी लोकप्रिय है। लोग हाथों-हाथ इन राखियों को आर्डर कर रहे हैं। बता दें कि ममता यूट्यूब के माध्यम से भी कुमाऊं की इस लोककला का प्रचार-प्रसार कर रही है। ऐपन‌आर्ट आफ उत्तराखण्ड नामक उनका यूट्यूब चैनल में विभिन्न प्रकार के ऐपण मौजूद है, जिन्हें ममता द्वारा खुद बनाया गया है।
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