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Uttarakhand: principal draupadi madhwal pauri garhwal himself lives in the mountain, has a teacher at home on contract

उत्तराखण्ड

उत्तराखंड: पहाड़ में एक अजब गजब प्रिंसिपल खुद रहती हैं घर पर टीचर रखी है ठेके पर

Pauri Garhwal Draupadi Madhwal पौड़ी गढ़वाल की प्रधानाध्यापिका द्रोपदी मधवाल आ गई सुर्खियों में ठेके पर रखी हैं टीचर

उत्तराखंड शिक्षा विभाग की खबरें आए दिन पढ़ने को मिलती हैं आज एक अजब गजब खबर राज्य के पौड़ी गढ़वाल के एकेश्वर ब्लॉक से सामने आ रही है जहां सरकारी प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने अपनी जगह किसी और महिला को 10 हजार रुपए महीने तनख्वाह पर पढ़ाने के लिए रखा हुआ था। वह महिला भी प्रधानाध्यापिका की जगह स्कूल में आकर रोज पढ़ाया करती है। बता दें कि इस प्रधानाध्यापिका की काफी लंबे समय से शिक्षा विभाग को शिकायतें जा रही थी लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा इस मामले पर पहले कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। अभी फिर से शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा इस मामले की दोबारा से जांच करके कार्यवाही की गई। मुख्य शिक्षा अधिकारी तथा जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा उक्त प्रधानाध्यापिका को सस्पेंड कर दिया गया है।(Pauri Garhwal Draupadi Madhwal)

शिक्षा विभाग के अनुसार एकेश्वर ब्लॉक का राजकीय प्राथमिक विद्यालय बंठोली दुर्गम क्षेत्रो में आता है । दुर्गम क्षेत्र के विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चो का भविष्य खतरे में है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शिक्षा विभाग उच्चाधिकारी इन विद्यालयों का निरीक्षण करते है। कागजों में निरीक्षण की रिपोर्ट हमेशा अव्वल रहती है।बार-बार की शिकायत के बाद जब फिर से निरीक्षण किया गया तो राजकीय प्राथमिक विद्यालय बंठोली कई बार बंद मिला। एकेश्वर ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बंठोली में कार्यरत प्रधानाध्यापिका द्रौपदी मधवाल की पिछले चार साल से यहां तैनाती थी।

बता दें कि प्रधानाध्यापिका का हर महीने का वेतन लगभग 70 हजार है। बताते चलें कि द्रौपदी मधवाल पिछले चार साल से ही अधिकतर समय स्कूल से गायब रही हैं।पिछले लगभग पांच महीने से उनकी जगह 10 हजार रुपए महीने के ठेके पर रखी गयी गांव की युवती प्रधानाध्यापिका की जगह स्कूल में छात्रों को पढ़ा रही थी । जांच में पाया गया कि प्राथमिक विद्यालय बंठोली अधिकतर बंद ही रहता था। द्रौपदी मधवाल मैदानी क्षेत्र कोटद्वार की रहने वाली हैं ।दुर्गम स्थल में तैनाती उनको नहीं भाई, ऐसे में वो घर बैठे आराम से सरकारी वेतन ले रही थी । प्रधानाध्यापिका की इस लापरवाही का खामियाजा खेत्र के गरीब छात्रो को उठाना पड़ रहा है।


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