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उत्तराखंड: सेना से रिटायर्ड होने के बाद शुरू किया स्वरोजगार, पहाड़ में लगाया आईसक्रीम उद्योग

Uttarakhand: पहाड़ में सेलर्स (नाविक) ब्रांड नाम से आईसक्रीम बना रहे हैं दोनों भाई (Self employment), 14-15 अन्य युवाओं को भी दिया है रोजगार..

उत्तराखण्ड (uttarakhand) के युवा और महिलाएं अब आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। आपदा को अवसर में बदलकर नया-नया स्वरोजगार (Self employment) शुरू कर रहे हैं। कोई खेतों में फल सब्जियां उगाकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार रहा है तो कोई बिच्छू घास की चाय, लिंगुडे़ का अचार जैसे न‌ए-न‌ए उत्पाद बनाकर न केवल पहाड़ में पाई जाने वाली बेशकीमती फल-सब्जियों का सदुपयोग कर रहा है बल्कि समाज को एक नई दिशा भी दे रहे हैं। आज हम आपको राज्य के दो ऐसे ही भाइयों से रूबरू करा रहे हैं जो इन दिनों पहाड़ में आईसक्रीम उद्योग खोलकर रोजगार की अलख जगा रहे हैं। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के पिथौरागढ़ जिले के रहने वाले तिलक पंत और उनके भाई ललित मोहन पंत की जिन्होंने आईसक्रीम उद्योग खोलकर स्वरोजगार को बढ़ावा दिया है। इस उद्योग से वह न केवल सीमांत जनपद में आईसक्रीम उपलब्ध करा रहे हैं बल्कि अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ में भी उनकी आईसक्रीम सेलर्स (नाविक) ब्रांड नाम से बिक रही है। इतना ही नहीं दोनों ने इस उद्योग में 14-15 अन्य स्थानीय युवाओं को भी रोजगार दे रखा है।
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नौसेना में रहकर देशसेवा कर चुके हैं तिलक, सेना के अधिकारियों द्वारा दिए गए संदेश से मिली स्वरोजगार की प्रेरणा:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के पिथौरागढ़ जिले के मूनाकोट ब्लॉक के जाखपंत गांव निवासी तिलक पंत और ललित मोहन पंत ने जिले के ही घुपौड़ में आईसक्रीम उद्योग लगाया है। भारतीय नौसेना में इंजन मैकेनिक के पद से सेवानिवृत तिलक पंत ने रिटायर्ड होने के बाद दिल्ली से रिटेल मैनेजमेंट का कोर्स किया। तिलक का कहना है कि उन्होंने स्वरोजगार की प्रेरणा अपनी उस विदाई पार्टी से मिली जिसमें सेना के अधिकारियों ने “सेना की पावर अब आपके पास नहीं देश को मजबूत बनाने के लिए व्यापार शुरु करें” का संदेश दिया गया था। इसी संदेश से प्रेरित होकर तिलक ने अपने भाई के साथ मिलकर स्वरोजगार करने की ठानी। सबसे पहले उन्होंने अपने घर पर रबड़ी कुल्फी बनाने का काम शुरू किया। उद्योग विभाग के सौजन्य से कुल्फी की मांग धीरे-धीरे बढ़ती गई। जिसके बाद उन्होंने आईसक्रीम उद्योग शुरू करने का निश्चय किया और घर पर ही कई प्रकार की आइसक्रीम को बनाना शुरू कर दिया। लाजबाव स्वाद और फैंसी पैकिंग के कारण आईसक्रीम की डिमांड दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। जिस पर उन्होंने पूरा आईसक्रीम उद्योग ही खोल दिया। आधुनिक मशीनों से आइसक्रीम बनाने के लिए अहमदाबाद से ऑटोमेटिक कप एंड कोन फिटिंग मशीन मंगाई। जिसके फलस्वरूप दोनों भाई सालाना 1.5 लाख रुपये से अधिक की कमाई कर रहे हैं।

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