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फोटो- सिद्धबली मंदिर कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड)- सोशल मीडिया

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पौड़ी गढ़वाल

kotdwar sidhbali mandir history: उत्तराखंड में बजरंगबली का सिद्धपीठ धाम जहां 2025 तक बुकिंग फुल

kotdwar sidhbali mandir history: पौड़ी के कोटद्वार में स्थित है सिद्धबली मंदिर, जहां बाबा गोरखनाथ के साथ विराजते हैं बजरंगबली…

उत्तराखंड भारत देश का एक ऐसा राज्य है जहां के लोगों का शुरू से ही देवी-देवताओं के प्रति घनिष्ठता रही है। जिसके चलते यहां पर आपको कई देवी–देवताओं के मंदिर एवं थान देखने को मिलेंगे। वैसे तो आदिकाल से ही उत्तराखंड में कई देवी–देवताओं के मंदिर हैं पर आज हम आपको उत्तराखंड में स्थित प्रसिद्ध बजरंगबली एवं हनुमान जी के धाम के बारे में बताएंगे। जहां मनोकामना पूर्ण होने पर भक्तों द्वारा बजरंगबली को भेंट स्वरूप उनके नाम पर भंडारा किया जाता है। इस धाम में रात दिन इतने भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है कि भंडारा देने के लिए भक्तों को दिन महीने नहीं बल्कि सालों का इंतजार करना पड़ता है। इस धाम में इतने भक्तगण आते हैं कि अभी से भक्तों ने 2025 तक के लिए भंडारे का बुकिंग कर दिया है। तो चलिए शुरू करते हैं कोटद्वार में स्थित सिद्धबली धाम के बारे में।
(kotdwar sidhbali mandir history)
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सिद्धबली मंदिर पौड़ी जिले के कोटद्वार में स्थित है। यह कोटद्वार से 2 किलोमीटर आगे खोह नदी के तट बसा हुआ है। यह खोह नदी से 40 मीटर के ऊंचे टीले पर स्थित हनुमान जी एवं बजरंगबली का धाम है। यह मंदिर बजरंगबली का एक प्राचीन सिद्ध पीठ मंदिर है जहां बजरंगबली स्वयं निवास करते हैं। यहां पर हनुमान जी की एक बड़ी सी मूर्ति है जिस पर भक्तों की अटूट आस्था है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस स्थान पर बजरंगबली का यह मंदिर सदियों से है जिसका जिक्र स्कंद पुराण में मिलता है। इस धाम में भक्त दूर-दूर से आते हैं और बजरंगबली के दर्शन करते हैं। कहते हैं कि मंदिर में उपस्थित बजरंगबली या सिद्धबली बाबा कभी किसी भी भक्त को खाली हाथ नहीं भेजते और अगर आपकी कोई भी इच्छा अधूरी रह जाती है तो इस धाम में आकर वह पूरी हो जाती है। जिसके बाद भक्तगण इच्छा पूरी होने पर बजरंगबली या सिद्धबली बाबा को भेंट स्वरूप भंडारा करवाते हैं। भंडारा कराने के लिए इतनी भीड़ रहती है कि भक्तों को महीनों और सालों का इंतजार भी करना पड़ता है। इस मंदिर में सिर्फ कोटद्वार या पौड़ी जिले की ही नहीं बल्कि पूरे उत्तराखंड के साथ-साथ बाहरी राज्यों से भी लोग आते हैं और सिद्धबली बाबा के दर्शन करते हैं।
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स्कंद पुराण के अनुसार मंदिर के बारे में कथा:

ऐसी मान्यता है कि यहां पर कलयुग में शिव के अवतार माने जाने वाले गुरु गोरखनाथ ने तपस्या की थी और जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने उत्तराखंड जा रहे थे। तो तब इस जगह से गुजरते वक्त उन्होंने गुरु गोरखनाथ से युद्ध किया। इस युद्ध में दोनों में से जब कोई नहीं हारा तो हनुमान जी ने गुरु गोरखनाथ से कहा कि मैं तुमसे प्रसन्न हूं मुझसे अपनी इच्छा मांगो। तब गुरु गोरखनाथ ने हनुमान जी को इस जगह पर उनके प्रहरी बनने के लिए कहा जिसके बाद से हनुमान जी यानी कि बजरंगबली और गुरु गोरखनाथ जी, जिन्हें इस जगह पर तपस्या कर सिद्धि प्राप्त हुई और इन्हे सिद्ध बाबा भी कहते हैं, के नाम पर इस मंदिर का नाम सिद्धबली मंदिर पड़ा। मंदिर के प्रांगण में बजरंगबली के साथ साथ सिद्ध बाबा की मूर्ति उपस्थित है जिनकी रक्षा दो पिंडिया करती हैं मंदिर के बारे में कहा जाता है कि शुरुआत में इस जगह पर कोई मंदिर नहीं था यहां पर बस सिद्ध बाबा की समाधि थी ब्रिटिश शासन काल में जब एक मुस्लिम ऑफिसर इस स्थान से गुजर रहा था तो रात को वह इसी जगह पर रुक गया मगर जब वह सोया तो रात मैं उसे सपना आया और सपने में उसे हनुमान जी ने इस जगह पर मंदिर निर्माण करने के लिए कहा जिसके बाद उस मुस्लिम ऑफिसर ने आसपास के लोगों को यह बात बताई और तब स्थानीय लोगों ने मिलकर इस जगह पर मंदिर का निर्माण करवाया। बजरंगबली का यह धाम पहले बहुत छोटा हुआ करता था परंतु आज यह मंदिर भक्तों की श्रद्धा के कारण वर्तमान में भक्तों द्वारा काफी बड़ा बना दिया गया है।
(kotdwar sidhbali mandir history)
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आपको बता दें कि बजरंगबली के इस पावन धाम में 2 समय आरती होती है शाम की आरती 6: 30 बजे और सुबह की आरती 5:00 बजे होती है। हनुमान जी के इस पवित्र धाम में वैसे तो भंडारा हर महीने के सभी शनिवार, मंगलवार और रविवार को किया जाता है। लेकिन कुछ महीने जैसे जनवरी-फरवरी अक्टूबर-नवंबर दिसंबर में हर रोज भंडारा किया जाता है। भक्तों द्वारा मनोकामना पूरी होने पर भंडारा देने के लिए इस मंदिर में पहले बुकिंग किया जाता है, यहां पर भंडारे के लिए बुकिंग पहले से ही करना होता है क्योंकि भीड़ अधिक होने से भंडारे के लिए साल 2 साल का इंतजार भी करना पड़ता है और भंडारा केवल उत्तराखंड के ही नहीं बल्कि देश विदेश से आए लोगों द्वारा भी किया जाता है। जिसके लिए 2025 तक की बुकिंग अभी से हो गई है।बजरंगबली के इस पवित्र धाम में भक्तों को अटूट आस्था है वह कहते हैं कि बजरंगबली उन्हें कभी खाली हाथ नहीं लौटाते, और अगर उनकी कोई भी इच्छा रहती है तो वह अवश्य पूरा करते हैं तथा बजरंगबली ने हर सुख दुख हमेशा उनका साथ दिया है और किसी भी प्रकार के संकट से उनकी रक्षा की है। तो यह था उत्तराखंड के कोटद्वार में स्थित सिद्धबली मंदिर एवं धाम जहां आज भी बजरंगबली प्रहरी के रूप में साक्षात निवास करते हैं और अपने भक्तों की सदैव हर संकट से रक्षा कर उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
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