उत्तराखण्ड परिवहन निगम की गाड़ियों में कभी परिचालक फर्जी टिकट बनाते हुए पकड़ा जाता है तो कभी सभी कर्मचारी हड़ताल पर बैठ जाते है। लेकिन इस बार तो लापरवाही की हद ही हो गयी , जी हां बता दे की हल्द्वानी से जयपुर चलने वाली बस यूके-07-पीए-1581 का मंगलवार को वापसी में मानेशर व गुडग़ांव के बीच पिछला टायर निकल गया। जिससे बस में सवार 36 यात्रियों की जिंदगी पर आ बनी। माहौल ऐसा था की कई यात्रियों की तो घटना से ही साँस रुकने को तैयार थी। घटना के बाद दिल्ली, गजरौला, मुरादाबाद, रामपुर, रुद्रपुर और हल्द्वानी के कई यात्रियों को दूसरे वाहनों से गंतव्य पर भेजा गया, जबकि कई यात्रियों का किराया भी वापस किया गया। नाराज यात्रियों ने ऐसी बसों के संचालन पर रोक लगाने की मांग तक कर दी। साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की भी मांग की।
जानकारी के मुताबिक काठगोदाम डिपो की बस यूके 07 पीए 1581 सोमवार को हल्द्वानी से जयपुर को रवाना हुई। यही बस शाम साढ़े छह बजे जयपुर से वापस हल्द्वानी को निकली जिसमे चालक-परिचालक समेत 39 यात्री सवार थे। बस जैसे ही मानेसर-गुरुग्राम के बीच पहुंची जोरदार खटखटाहट की आवाज से यात्रियों की नींद टूट गई। चालक ने तुरंत ब्रेक लगाया और कुछ दूर चलकर बस हिलते-डुलते रोकी गई। देखते ही देखते यात्रियों में दहशत फैल गयी और सभी यात्री चालक-परिचालक के साथ नीचे उतरे और देखते ही भौचक्के रह गए की बस के पिछले चार पहियों में से एक गायब था। टायर को इधर -उधर काफी ढूढ़ा जो नहीं मिल सका। सबसे खाश बात ये रही की मैदानी इलाका होने की वजह से यात्रियों की जिंदगी बच गयी , अगर यही पर्वतीय क्षेत्र होता न जाने कैसा भयानक हादसा होता।
यात्री त्रस्त आला अफसर नींद में मस्त : जब रात 12 बजे बस का टायर गायब हो गया और यात्रियों में अफरातफरी मच गयी तो यात्रियों ने निगम के आला अधिकारियों को फोन घुमाया मगर जनाब कोई फ़ोन तो उठाए तब तो कुछ बात तो यहाँ तो आला अफसर ही सो रहे थे तो फोन कौन उठाए । लेकिन बताया जा रहा है की काठगोदाम डिपो से बस को चेक करके रूट पर भेजा गया था। बस डिपो में इस बाबत जाँच चल रही है , स्पष्ट होने पर ही उचित मेन्टेन्स कार्य किया जाएगा