Uttarakhand UPCL seniority list : वरिष्ठता सूची पर बवाल, इंजीनियरों ने UPCL अधिशासी निदेशक को 3 घंटे तक बनाया बंधक, जाने क्या है पूरा मामला..
Uttarakhand UPCL seniority list : उत्तराखंड मे यूपीसीएल का विवाद लंबे समय से तूल पकड़ता जा रहा है जो 19 साल चलता आ रहा है वहीं अब सहायक अभियंताओं की वरिष्ठता सूची के विरोध में जूनियर इंजीनियर भड़क गए है जिसके चलते नाराज इंजीनियरों ने यूपीसीएल के अधिशासी निदेशक आरजे मलिक का घेराव करते हुए उन्हें 3 घंटे तक कार्यालय में बंधक बनाए रखा। इस पूरे प्रकरण के दौरान पावर जूनियर इंजीनियर संगठन के आहान पर बड़ी संख्या में डिप्लोमाधारी पदोन्नत एई UPCL मुख्यालय पहुंचे जहां पर उन्होंने कार्यालय के बाहर गैलरी में बैठकर धरना प्रदर्शन किया। संगठन का आरोप है कि जो इंजीनियर 2010 में सीधी भर्ती के तहत नियुक्त हुए हैं उन्हें 2008 की वरिष्ठता सूची में शामिल किया गया है जिस पर उनकी मांग है कि इस सूची को तत्काल निरस्त करते हुए 2010 की सीधी भर्ती के एई को बाहर किया जाए। जिसको लेकर मुख्य सचिव ने वरिष्ठता मामले के निस्तारण के लिए शासन स्तर पर समिति का गठन करने के निर्देश दिए थे।
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अभी तक मिली जानकारी के अनुसार जूनियर इंजीनियरों का कहना है कि जो इंजीनियर 2010 की सीधी भर्ती के बाद आए है उन्हें उनसे पहले वरिष्ठता दी गई है जबकि प्रबंधन का तर्क है कि रोटा कोटा सिद्धांत के तहत यह वरिष्ठता निर्धारित की गई है जिसके लिए जेई से एई के पदोन्नति तभी मानी जा सकती है जब सीधी भर्ती के निश्चित प्रतिशत तक पदों को इसमें स्थान दिया जाए। UPCL प्रबंधन ने गलत तरीके से सूची जारी की है जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है। उत्तरांचल पावर इंजीनियर संगठन ने वरिष्ठता सूची जारी करने के बाद राज्य सरकार शासन और यूपीसीएल प्रबंधन का आभार प्रकट किया जिस पर संगठन के महासचिव राहुल चानना ने कहा कि लंबे समय से न्याय से जूझ रहे सीधी भर्ती के सहायक अभियंताओं के साथ न्याय हुआ है जो 10 साल से पदोन्नति की राह देख रहे थे। उनका कहना है कि इस सूची को रोटा कोटा के सिद्धांत के अनुसार किया गया है। वही संगठन ने यूपीसीएल प्रबंधन से जल्द डीपीसी की मांग की है इससे पदोन्नति का इंतजार खत्म हो सकेगा।
हाई कोर्ट जाने को तैयार जूनियर इंजीनियर संगठन ( Uttarakhand UPCL seniority list)
डिप्लोमा इंजीनियरों के जेई से एई के पद पर हुई पदोन्नति के खिलाफ सीधी भर्ती के इंजीनियरों ने हाई कोर्ट में वाद दायर किया हुआ है जिसके चलते उनका कहना है कि जेई व एई के पद पर उनकी पदोन्नति में उस समय शिथीलीकरण का लाभ दिया गया जबकि राज्य में ऐसी नियमावली लागू ही नहीं थी। उत्तर प्रदेश की जो नियमावली है वह शिथीलीकरण मे आधार बनाई गई थी जिसे तत्कालीन अधिकारियों ने अंगीकार भी नहीं किया था उनका कहना है कि जेई के पद पर 6 साल सेवा के बाद के जेई सलेक्शन ग्रेड के पद पर चार साल सेवा देनी होती थी हालांकि तब एई के पद पर पदोन्नति मिलती थी लेकिन सिलेक्शन ग्रेड को भी हटा दिया गया है अब इस मामले पर उन्हें हाई कोर्ट के आदेश का इंतजार है।
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