उत्तराखण्ड : भारतीय सेना के लिए पहाड़ के युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं सेना से सेवानिवृत्त नारायण
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ज़िंदगी कि असली उड़ान बाकी है,
जिंदगी के कई इम्तेहान अभी बाकी है।
अभी तो नापी है मुट्ठी भर ज़मीन हमने,
अभी तो सारा आसमान बाकी है।।
ये चंद पंक्तियां देश के उन वीर बहादुर सपूतों पर बिल्कुल सटीक बैठती है जो जीवन भर देशसेवा करने का जज्बा रखते हैं। पहले सेना में भर्ती होकर सीमा पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाते है और सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद या तो अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करते या फिर देश का बेहतर भविष्य तैयार करते हैं। सैन्य भूमि उत्तराखण्ड में भी ऐसे वीर जांबाजों की कोई कमी नहीं है। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद सेना के लिए जवान और अफसर तैयार कर मां भारती की ताकत बढ़ा रहे हैं। देवभूमि उत्तराखंड के ऐसे ही एक वीर सपूत हैं नारायण सिंह उंयूड़ी, जो इन दिनों अपनी अकादमी खोलकर पहाड़ के नौनिहालों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। जी हां.. राज्य के बागेश्वर जिले के रहने वाले नारायण सिंह उंयूड़ी की, जिनसे प्रशिक्षण प्राप्त कर पहाड़ के कई युवा सेना में भर्ती हो चुके हैं। सबसे खास बात तो यह है नारायण द्वारा दिया जाने वाला यह प्रशिक्षण (Indian army training) बिल्कुल निशुल्क है। क्षेत्रवासियों सहित जिले के कई अधिकारियों ने नारायण के इस बेमिसाल कार्य की सराहना की है।
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तीन साल पहले कुमाऊं रेजिमेंट से हुए थे सेवानिवृत्त, अब सवार रहे युवाओं का भविष्य:- जानकारी के अनुसार राज्य के बागेश्वर जिले के रुनीखेत निवासी नारायण सिंह उंयूड़ी तीन साल पहले भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए थे। 2017 में सेना से सेवानिवृत्त होने वाले उंयूड़ी 12वीं कुमाऊं रेजिमेंट में कैप्टन के पद पर तैनात थे। सेवानिवृत्त होने के बाद जहां अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारी-अधिकारी आरामदायक जिंदगी जीना पसंद करते हैं वहीं उंयूड़ी ने पहाड़ के युवाओं का भविष्य संवारने की सोची। अपने इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए उन्होंने क्षेत्र में ही एक अकादमी खोली और उसके बाद जुट गए युवकों को प्रशिक्षित करने में। बता दें कि वर्तमान में उनसे पहाड़ के 40 युवक सेना में भर्ती होने के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनमें बागेश्वर जिले के अतिरिक्त अल्मोड़ा तथा नैनीताल जिले के युवा भी शामिल हैं। उंयूड़ी युवाओं को न सिर्फ फिजिकल एग्जाम के लिए प्रशिक्षित करते हैं बल्कि यहां उनकी लिखित परीक्षा भी ली जाती है। सप्ताह में एक दिन फिजिकल प्रोगेस देखकर उन्हें अंक दिए जाते हैं, उनकी कमियां बताई जाती है और उन कमियों को कैसे दूर किया जाए ये भी उंयूड़ी युवाओं को बताते हैं।
सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।
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