नेटवर्क विहीन दूरस्थ क्षेत्रों से सम्पर्क स्थापित करने के लिए एसडीआरएफ ने किया क्यूडीए सिस्टम (QDA SYSTEM UTTARAKHAND) का विस्तार, इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाला पहला राज्य बना उत्तराखंड..
जहां एक और देश में दिन प्रतिदिन नई-नई टेक्नॉलॉजी का निर्माण हो रहा है जिसमें संचार सुविधाओं जैसे हाई स्पीड नेटवर्क तथा इंटरनेट के क्षेत्र में दिनोंदिन प्रगति हो रही है, वही उत्तराखण्ड जैसे पहाड़ी राज्यों में प्रत्येक स्थान पर संचार सुविधाएं उपलब्ध होना सदैव एक चुनौती रही है। इन्हीं समस्याओं का समाधान करने के लिए दूरस्थ ग्रामों के संपर्क विहीन क्षेत्रों में एसडीआरएफ द्वारा क्विक डिप्लोएबल एंटीना (QDA SYSTEM UTTARAKHAND) स्थापित किया गया है जिससे न केवल उत्तराखंड के दूरस्थ तथा सीमांत गांवों के नो सिग्नल वाले क्षेत्रों में भी अब संपर्क हो पाएगा बल्कि राज्य में होने वाली दैवीय आपदा बाढ़, भूस्खलन वाले क्षेत्रों में भी क्विक डिप्लोएबल एंटीना की सहायता से आसानी से संपर्क साधा जा सकता है। सबसे खास बात तो यह है कि इस तकनीकी का इस्तेमाल करने वाला उत्तराखंड देश का प्रथम राज्य बन गया है, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीते बृहस्पतिवार को देहरादून में इस तकनीकी का शुभारंभ किया, इस दौरान उन्होंने क्यूडीए तकनीक के माध्यम से सीमांत क्षेत्रों मलारी, त्यूणी तथा गुंजी के लोगों से भी बातचीत की और क्षेत्र की समस्याओं को भी जाना। मुख्यमंत्री ने एसडीआरएफ के कार्यों की जमकर सराहना करते हुए कहा कि इस तकनीकी के उपयोग से दूरगामी परिणाम मिलेंगे जो अत्यंत सुखद होंगे।
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अभी तक एनडीआरएफ और पैरामिलिट्री फोर्स ही करते थे इस तकनीक का उपयोग, प्राकृतिक आपदा के समय भी सूचनाओं के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी यह तकनीक:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय स्थित एसडीएमए कंट्रोल रूम से क्यूडीए तकनीक के माध्यम से चमोली और पिथौरागढ़ जिलों के दूरस्थ इलाकों के ग्राम प्रधानों एवं ग्राम वासियों से बात कर उनकी समस्याएं सुनी। बता दें कि प्रदेश के सुदूरवर्ती गांवो को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए राज्य के सभी जिलों में संचार की दृष्टि से कमजोर क्षेत्रों में 240 सेटेलाइट फोन वितरित किए गए थे, इसी काम को गति देते हुए एसडीआरएफ ने नवीनतम टेक्नॉलॉजी क्यूडीए की मदद ली। इस प्रकार की टेक्नोलॉजी का उपयोग करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य गया है, अभी तक देश में एनडीआरएफ और पैरामिलिट्री फोर्स ही इसका उपयोग कर सकते हैं, इस टेक्नोलॉजी का उपयोग कर राज्य में अचानक आने वाली दैवीय आपदाओं की जानकारी पर भी नजर रखी जा सकती है, कई सुदूरवर्ती क्षेत्रों में जहां आज भी आपदा आने पर प्रशासन को सूचना देने में 1 से 2 दिन का समय व्यतीत हो जाता है लेकिन अगर यह टेक्नालॉजी सही साबित होती है तो ग्राम वासियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी।
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ये हैं क्यूडीए, ऐसे करता है काम, पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा मानव क्षति को कम करना है इस तकनीक के उपयोग का मुख्य उद्देश्य:-
बताते चलें कि क्यूडीए एक प्रकार से नो सिग्नल एरिया में भी संचार स्थापित करने के लिए प्रभावी है इसके उपयोग से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और डेटा भी भेजा जा सकता है। इसमें डाटा को भेजने के लिए 1.2 मीटर क्यूडीए एंटीना टर्मिनलो और 1.2 मीटर स्टेटिक एंटीना का उपयोग होता है जो विभिन्न टर्मिनलो के साथ उपग्रह पर संचार स्थापित करने में मदद करता है जिसकी सहायता से वॉइस और वीडियो संचार को टर्मिनल मे भेजा जा सकता है। 1.2 मीटर क्यूब एक पोटेबल सिस्टम होता है जो दूरस्थ क्षेत्रों में किसी भी इलाकों में स्थापित किया जा सकता है यह तत्काल सेटेलाइट से संपर्क कर ऑडियो वीडियो कॉल की सुविधा भी प्रदान करते हैं,इस तकनीकी की सहायता से दैवीय आपदा में भी जिंदगी बचाने में मदद मिलेगी, प्रदेश की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए स्टैटिक क्यूडीए का मुख्यालय जौली ग्रांट, देहरादून या किसी अन्य स्थान पर स्थापित किया जाएगा,आपदा के समय क्यूडीए द्वारा क्षेत्र की जानकारी सीधे कंट्रोल रूम को प्राप्त हो जाएगी तथा वहां होने वाले नुकसान का भी आकलन किया जा सकेगा तथा बचाव के लिए सख्त कदम भी जल्द से जल्द उठा लिए जाएंगे। इस टेक्नोलॉजी के उपयोग का मुख्य उद्देश्य पहाड़ी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा मानव क्षति को कम करना है।