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उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले के धाकड़ गेंदबाज दीपक धपोला के “पहाड़ी दगड़िया” बने विराट कोहली

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उत्तराखण्ड के युवा जिस क्षेत्र में जाते है वहॉ धमाल मचाकर ही रहते है , ऐसा ही कुछ धमाल कर रहे है , उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के धाकड़ गेंदबाज दीपक धपोला जिन्होंने डेब्यू करते ही घरेलू क्रिकेट में ऐसी सनसनी मचाई कि हर कोई उनका कायल हो गया। 2 मैच 21 विकेट, 3 बार 5 विकेट हॉल, इन आंकड़ों पर भले ही आपको विश्वास ना हो रहा हो लेकिन ये हकीकत बयां करता रिकॉर्ड है उत्तराखंड के दीपक धपोला के नाम। जी हां बीसीसीआई से मान्यता मिलने के बाद पहली बार रणजी ट्रॉफी खेल रही उत्तराखण्ड टीम के इस खिलाडी ने धमाल मचा के रखा है।




विराट कोहली के है खाश दोस्त – दीपक, विराट कोहली के कोच राजकुमार शर्मा के अंडर ही ट्रेनिंग करते हैं। वेस्ट दिल्ली क्रिकेट एकेडमी में प्रैक्टिस के दौरान दीपक ने नेट्स में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली को भी गेंदबाजी की है। विराट के बारे में बात करते हुए दीपक कहते है कि,”विराट मेरा बहुत सपोर्ट करते हैं, सीनियर होने के नाते मुझे गाइड भी करते रहते हैं। इतना ही नहीं वो मुझे क्रिकेट किट और बॉलिंग स्पाइक्स भी देते हैं। प्रैक्टिस के दौरान से ही दीपक की विराट से नजदीकियां बाद गयी और एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त भी बन गए। बता दे की उत्तराखंड ने देहरादून में अपने पहले दो रणजी मैच खेले और दोनों में जीत हासिल की। पहले मैच में उत्तराखंड ने बिहार को 10 विकेट शिकस्त दी तो इसमें भी दीपक धपोला का सबसे अहम योगदान था। धोपाला ने उस मैच में 9 विकेट चटकाए थे। इसके बाद दूसरे मैच में भी उन्होंने अपनी शानदार लय जारी रखते हुए मणिपुर के खिलाफ 12 विकेट हासिल किए। दीपक लगातार तीसरी बार पारी में पांच या इससे ज्यादा विकेट चटकाए। अब तक दो रणजी मैचों में 21 विकेट ले चुके इस दाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है।




यह भी पढ़ेमानसी जोशी जिसने पहाड़ी खेतो से क्रिकेट खेलकर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट का सफर तय किया
दीपक धपोला ने 6-7 साल की उम्र से शुरू किया क्रिकेट खेलना: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के भागीरथी के रहने वाले दीपक ने मात्र 6-7 साल की उम्र से टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। उस समय बागेश्वर में कोई क्रिकेट एकेडमी भी नहीं थी, लेकिन क्रिकेट का ऐसा जुनून था कि वो स्कूल बंक करके क्रिकेट मैदान पर ही नजर आते थे। पहाड़ में क्रिकेट का भविष्य उन्हें नजर नहीं आया और इसके बाद 11वीं क्लास में दीपक ने क्रिकेट में प्रोफेशनली करियर बनाने की सोची और बेहतर सुविधाओं के लिए देहरादून आ गए लेकिन देहरादून में हालात कुछ ऐसे ही थे ऊपर से उत्तराखंड के पास एसोसिएशन भी नहीं थी। दीपक के एक दोस्त ने उन्हें दिल्ली में प्रैक्टिस करने की सलाह दी । जिसके बाद दीपक दिल्ली आ गए और कोच राजकुमार शर्मा की देखरेख में अपने टैलेंट निखारना शुरू किया।




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