Pauri Garhwal: जंगल में चारों तरफ से आग (Forest Fire) से घिरने के बावजूद ग्यारहवीं के छात्र सतबीर ने नहीं हारी हिम्मत, साहस और सूझबूझ का परिचय देते हुए दोनों बहनों के साथ ही बचाया तीस बकरियों को..
आग से धधकते उत्तराखण्ड के जंगल न केवल बहुमूल्य वन संपदा को नष्ट कर रहे हैं वरन ग्रामीणों के लिए भी संकट का कारण बने हुए हैं। तेज हवाओं के साथ फैलती आग की लपटों ने न जाने कितने ग्रामीणों और जानवरों की जान लील ली है और न जाने कितने ही लोग आग बुझाने के चक्कर में झुलस गए हैं। हालांकि बावजूद इसके पहाड़ के साहसी ग्रामीण आग बुझाने में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं और अपनी जान पर खेलकर भी आग बुझाने के प्रयासों में लगे हैं। आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही साहसी किशोर से रूबरू करा रहे हैं जिसने आग की लपटों से न केवल खुद के साथ ही अपनी दो बहनों की जान बचाई बल्कि अपनी तीस बकरियों को भी सुरक्षित बचा लिया। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal) जिले के रहने वाले सतबीर की, जिसने आग की लपटों से घिरने के बावजूद साहस नहीं छोड़ा और अपनी हिम्मत और सूझबूझ से दो बहनों के साथ ही तीस बकरियों को भी नया जीवनदान दिया। हालांकि उसकी पांच बकरियां इस जंगल की आग (Forest Fire) की भेंट चढ़ गई और वह भी आग से बुरी तरह झुलस गया। भले ही गम्भीर रूप से झुलसा सतबीर अभी बेस चिकित्सालय कोटद्वार में भर्ती हो परन्तु आज चारों ओर उसके साहस और सूझबूझ की ही चर्चा हो रही है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के द्वारीखाल ब्लाक के सिमल्या गांव निवासी सतबीर रोज की तरह बीते रविवार को भी अपनी 35 बकरियों को लेकर पास के जंगल में गया था। उसके साथ उसकी दो बहनें किरन और सिमरन भी थी। बताया गया है कि रविवार को जंगल में दूसरी ओर आग लगी हुई थी परन्तु जिस तरफ सतबीर और उसकी दोनों बहनें बकरियां लेकर गए थी वहां सब कुछ सही था। कुछ देर में उन्हें बकरियों को लेकर गांव लौटना था। परंतु इससे पहले कि वह गांव लौट पाते एकाएक उन्हें चारों ओर से आग की लपटों ने घेर लिया। बातों में मशगूल होने के कारण उन्हें पता ही नहीं चला कि कब आग की लपटे उनके आसपास पहुंची। जब उन्होंने ध्यान दिया तो चारों ओर आग ही आग फैली थी, जिसके बीच में वह बुरी तरह घिर चुके थे। एक बार को तो चारों तरफ आग देखकर सतबीर भी डर गया और उसकी दोनों बहनें रोने लगी परंतु बावजूद इसके सतबीर ने हार नहीं मानी। उसने तुरंत पेड़ की हरी टहनियों से आग बुझाना शुरू किया और बाहर निकलने का रास्ता बनाकर न सिर्फ किरन और सिमरन को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया बल्कि तुरंत अपनी बकरियों को लेने भी चला गया और तीस बकरियों को सुरक्षित बचा लिया।
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