गौरवान्वित पल: हर्षोत्साहित माता-पिता ने खुद बेटे के कंधे पर सितारे सजाकर अर्पित को किया भारतीय सेना को समर्पित…
राज्य के होनहार वाशिंदे आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। बात अगर सैन्य क्षेत्र की करें तो भी न सिर्फ दुश्मन को करारा जवाब देने बल्कि मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने जान की बाजी लगाने वाले राज्य के वीर सपूतों के साहस, वीरता एवं बहादुरी की शौर्य गाथा न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में बड़े गर्व के साथ सुनाई जाती है। आज हम आपको राज्य के एक और ऐसे ही होनहार बेटे से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर न सिर्फ वन दरोगा के रूप में कार्यरत अपने पिता का मान बढ़ाया है बल्कि समूचे उत्तराखंड को भी गौरवान्वित होने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के देहरादून जिले के विकासनगर के रहने वाले अर्पित भट्ट की, जो शनिवार को ओटीए (आफिसर्स ट्रेनिग एकेडमी) चेन्नई में आयोजित पासिंग आउट परेड के दौरान भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। उनकी इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं पूरे क्षेत्र में भी खुशी की लहर है। यह भी पढ़ें- उत्तराखंड के शहीद दीपक नैनवाल की पत्नी ज्योति सेना में बनी अफसर
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के देहरादून जिले के विकासनगर क्षेत्र के जीवनगढ़ निवासी अर्पित भट्ट भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। बता दें कि अपनी इंटरमीडिएट तक की शिक्षा सेंट मैरी स्कूल से प्राप्त करने वाले अर्पित ने बीटेक किया है। उनके पिता सुधीर कुमार भट्ट वन विभाग में वन दरोगा हैं तथा वर्तमान में चकराता वन प्रभाग में तैनात हैं जबकि उनकी मां रेखा भट्ट एक कुशल गृहणी हैं। बचपन से पिता को दरोगा की वर्दी में देखकर अर्पित हमेशा सेना में जाने को लालायित रहते थे और इसी को उन्होंने अपना लक्ष्य भी बनाया तथा इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत ही वह सीडीएस की तैयारियों में जुट गए। बीटेक पूर्ण होने के उपरांत उनकी यह तैयारी रंग भी लाई और उन्होंने सीडीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। तत्पश्चात उन्होंने ओटीए (आफिसर्स ट्रेनिग एकेडमी) चेन्नई से डेढ़ वर्ष का कठिन प्रशिक्षण प्राप्त किया। जहां शनिवार को आयोजित पासिंग आउट परेड के बाद वह सेना में लेफ्टिनेंट बनकर निकले। इस दौरान हर्षोत्साहित माता-पिता ने खुद बेटे के कंधे पर सितारे सजाकर उसे सेना को समर्पित किया।