गौरवान्वित पल, पिता गोविंद उत्तराखण्ड पुलिस में दरोगा (सब इंस्पेक्टर) बेटा नरेश बना सेंट्रल पुलिस फोर्स (Central police) में असिस्टेंट कमांडेंट (assistant commandant)…
राज्य के होनहार युवा आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। राज्य के होनहार युवाओं ने अपनी काबिलियत के बलबूते न केवल सफलता के शिखरों को छूकर अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है बल्कि देश-विदेश में समूचे देवभूमि उत्तराखंड का मान भी बढ़ाया है। जरा सोचिए, किसी पिता के लिए वह कितना गौरवान्वित क्षण होता होगा, जब उसका बेटा उससे आगे निकल जाएं, इस कल्पना मात्र से ही पिता का सीना चौड़ा हो जाता है तो हकीकत में बच्चों की कामयाबी पर माता-पिता की खुशी को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। आज हम इस बात का जिक्र इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि उत्तराखण्ड पुलिस में दरोगा के रूप में कार्यरत गोविंद के बेटे ने इन शब्दों को चरितार्थ करते हुए सेंट्रल पुलिस (Central police) फोर्स बतौर असिस्टेंट कमांडेंट कामयाबी हासिल की है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं राज्य के नैनीताल जिले के हल्द्वानी निवासी नरेश मनकोटी की, जो सेंट्रल पुलिस फोर्स में असिस्टेंट कमांडेंट (assistant commandant) बन गए हैं। सबसे खास बात तो यह है कि उन्होंने पूरे देश में 84वीं रैंक हासिल की है। उनकी इस अभूतपूर्व उपलब्धि से जहां उनके परिवार में हर्षोल्लास का माहौल है वहीं समूचे क्षेत्र में भी खुशी की लहर है।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के बागेश्वर जिले के मल्लाकोट असौं निवासी नरेश मनकोटी ने यूपीएससी द्वारा आयोजित सेंट्रल पुलिस फ़ोर्स की असिस्टेंट कमांडेंट परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है। बता दें कि नरेश ने परीक्षा परिणामों में आल इंडिया लेवल पर 84वीं रैंक हासिल कर यह मुकाम हासिल किया है। नरेश का परिवार वर्तमान में राज्य के नैनीताल जिले के हल्द्वानी में रहता है। उनके पिता गोविंद सिंह मनकोटी वर्तमान में उत्तराखण्ड पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं जबकि उनकी मां एक कुशल गृहणी हैं। बताते चलें कि इस अभूतपूर्व उपलब्धि को हासिल करने वाले नरेश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दर्पण चिल्ड्रन गार्डन स्कूल हल्द्वानी से तथा इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई नैनी वैली स्कूल काठगोदाम से प्राप्त की है। तत्पश्चात उन्होंने सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रूद्रपुर से उच्च शिक्षा प्राप्त की। नरेश ने अपनी इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों के साथ ही अपनी कड़ी मेहनत और लगन को दिया है।
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