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Uttarakhand news: roadways Bus service started for Paonta Sahib Himachal Pradesh.

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उत्तराखण्ड

ऊधमसिंह नगर

उत्तराखण्ड: पांवटा साहिब के लिए शुरू हुई बस सेवा, जानें पांवटा साहिब का धार्मिक महत्व

Uttarakhand paonta Sahib bus: सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल पांवटा साहिब के लिए काशीपुर से शुरू हो चुकी है उत्तराखंड रोडवेज बस सेवा, रोजाना सुबह साढ़े सात बजे रवाना हो रही है बस..

सिख समुदाय से जुड़े लोगों को उत्तराखण्ड रोडवेज जल्द ही एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। जी हां… सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल पांवटा साहिब के लिए काशीपुर से उत्तराखण्ड रोडवेज की बस सेवा शुरू हो चुकी है। काशीपुर-पांवटासाहिब हिमाचल प्रदेश नामक यह बस सेवा काशीपुर डिपो से रोजाना सुबह करीब साढ़े सात बजे रवाना होती है। जबकि वापसी में शाम को करीब सवा छह बजे पांवटा साहिब से यह बस चलती है और रात करीब साढ़े आठ बजे देहरादून पहुंचकर काशीपुर के लिए रवाना होती है। इस बस सेवा के शुरू होने से उत्तराखण्ड से पांवटा साहिब की यात्रा करने वाले सिख धर्म के श्रृद्धालुओं को जहां काफी सहूलियत हो रही है वहीं हिमाचल जाने वाले अन्य यात्रियों को भी वाहन की परेशानियों से काफी राहत मिली है।
(Uttarakhand paonta Sahib bus)
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यह है सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल पांवटा साहिब का महत्व:

हिमाचल-उत्तराखंड की सीमा पर यमुना नदी के किनारे सिरमौर जिले में बसा पांवटा साहिब सिख धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कहा जाता है कि इसकी स्थापना दसवें सिख गुरु गोबिंद सिंह द्वारा की गई थी। ऐसा माना जाता है कि सिख गुरु गोबिंद सिंह जब इस मार्ग से अपने घोडे़ पर जा रहे थे तथा इसी स्थान पर पहुंच कर उनके घोड़े अपने आप रूक गए थे (घोड़ों के पांव टिक यानी ठहर ग‌ए थे)। जिसके पश्चात गुरु गोविंद सिंह ने इस स्थान पर गुरूद्वारे की स्थापना कर इसे पांवटा (पांव+टीका) का नाम दिया। इतना ही नहीं यहां उन्होंने अपने जीवन के साढ़े 4 वर्ष गुजारे थे। गुरुद्वारा के अंदर श्रीतालाब स्थान भी है, यह वही जगह है जिसके विषय में कहा जाता है कि गुरु गोबिंद सिंह यहीं से वेतन वितरित करते थे। इसके अलावा गुरुद्वारे में श्रीदस्तर स्थान मौजूद है।
(Uttarakhand paonta Sahib bus)

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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