Uttarakhand Student Ukraine Return: सकुशल घर वापस पहुंचे विजय तो परिजनों के चेहरे पर दिखी चमक, खिल उठे माता-पिता के बीते कई दिनों से मुरझाए चेहरे..
यूरोपीय देशों में जारी आपसी संकट से समूची देश-दुनिया चिंतित हैं। उत्तराखण्ड के साथ देश के विभिन्न प्रांतों के कई युवा यूक्रेन में फंसे हुए हैं जिससे न केवल इनके परिजनों की चिंताएं बढ़ी है अपितु उनका दिन का चैन और रातों की नींद भी गायब हो गई है। हालांकि यूक्रेन में फंसे छात्रों की सकुशल वापसी के लिए केंद्र सरकार द्वारा आपरेशन गंगा चलाया जा रहा है। इसी मुहिम के तहत यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई करने गए राज्य के नैनीताल जिले के हल्द्वानी के छात्र विजय चौहान सुबह 3 बजे अपने घर पहुंच गए है। सुबह 3:00 बजे घर पहुंचने के बाद उन्होंने घरवालों को नहीं उठाया और सीधे अपने कमरे में जाकर सो गए। सुबह उनकी माता ने उठते ही सबसे पहले कमरे में जाकर देखा तो उनका बेटा सोया हुआ था। इसके बाद उनकी मां बोली दहशत व दौड़ भाग के कारण मेरा बेटा कई दिन से सो नहीं पाया आज घर पहुंच कर वह चैन की नींद सोया है। विजय के पिता प्रताप चौहान तथा माता गीता चौहान ने कहा कि वह दोनों अपने बेटे का वापस आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। वे रात को 1:00 बजे तक अपने बेटे की राह देख रहे थे । विजय चौहान सुबह 3:00 बजे अपने घर पहुंचे। जहां किराएदार ने ही मेन गेट खोला तथा वे घर में बिना किसी को उठाए चुपचाप अपने कमरे में सोने चले गए।
(Uttarakhand Student Ukraine Return)
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प्राप्त जानकारी के अनुसार हल्द्वानी के एमबीबीएस के छात्र विजय चौहान यूक्रेन से सकुशल घर लौट आए हैं। बता दें कि विजय चौहान यूक्रेन के इवानों फ्रेकिंग मे फंसे हुए थे। इवानों फ्रेकिंग शहर रूस से पांच किलोमीटर की दूरी पर है। विजय का कहना है कि रूस सैनिकों ने जब एयरपोर्ट पर हमला किया तब से वह दहशत में था। उन्होंने कहा कि 24 फरवरी को मैं और मेरे दोस्त दोनों अपने कमरे में थे तभी शाम को पांच बजे एयरपोर्ट पर जोरदार धमाके के साथ सायरन बजा। हम दोनों भागकर बंकर में घुस गए। सायरन बंद हुआ तो हम बंकर से बाहर आए। उन्होंने कहा कि वहां के हालात बेहद खराब हो गए थे तो 25 फरवरी की सुबह उन्होंने यह तय किया कि अब स्वदेश लौटना है। पड़ोसी की मदद लेकर विजय चौहान कार से इवानों फ्रेकिंग से 170 किमी दूर रोमानिया बार्डर पर पहुंचे। विजय चौहान को 12 घंटे बार्डर पर खड़ा रहना पड़ा। जहां करीब चार हजार लोगों की बहदहवास भीड़ पहले से थी। रोमानिया सरकार ने बार्डर पर सभी लोगों के लिए खाने-पीने के सभी इंतजाम के हुए थे। शनिवार की शाम रोमनिया से एयरलिफ्ट हुए। रविवार को देर शाम हम लोग दिल्ली के उत्तराखंड भवन में पहुंचे। वहां पहुंचते ही सभी ने राहत की गहरी सांस ली।
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