kashmiri pandits in uttarakhand: फिल्म देखकर भावुक हुए कश्मीरी पंडित, आम जनमानस की आंखें भी हो रही नम, उत्तराखंड के हल्द्वानी में रह रहे कश्मीरी पंडित कौल परिवार ने बयां की अपनी पीड़ा..
‘द कश्मीर फाइल्स‘ हाल ही में रिलीज हुई यह फिल्म जहां दिल को झकझोर कर रख देती है वहीं 19 जनवरी 1990 की वह काली रात इससे भी कहीं ज्यादा दर्दनीय थी। जरा सोचिए, तीन घंटे की एक फिल्म जब हमारी आंखों को नम कर दे रही है तो 19 जनवरी को जब कश्मीरी पंडितों के साथ यह वाकया वास्तव में घटित हुआ होगा तो कैसा मंजर होगा? उस समय उन पर गुजर रही पीड़ा का हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। भावनात्मक पहलूओं पर बनी इस फिल्म ने एक बार फिर कश्मीरी पंडितों की उन दुखद यादों को ताजा कर दिया है। उत्तराखण्ड में भी ऐसे अनेकों परिवार रहते हैं जिन्हें इस खौफनाक मंज़र के कारण कश्मीर में बने अपने घरों को सदा-सदा के लिए छोड़ना पड़ा। कश्मीर से विस्थापित होकर हल्द्वानी में रहने वाले विनीत कौल का परिवार भी उन्हीं में से एक है।
(kashmiri pandits in uttarakhand)
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अपनी आपबीती बयां करते हुए विनीत बताते हैं कि उस समय उनकी उम्र महज 24 वर्ष थी। वह कहते हैं कि 16, 17 और 18 जनवरी 1990 में सभी मस्जिदों से अजान के बाद कश्मीरी पंडितों को चेतावनी दी गई कि या तो वे कश्मीर छोड़कर भाग जाए या इस्लाम कबूल कर ले। इसके बाद 19 जनवरी को जो हुआ उससे आज पूरा देश वाकिफ हैं। वह बताते हैं कि दो चार साल में सब ठीक हो जाएगा यह सोचकर वे, अपने माता-पिता और दो बहनों के साथ एक अटैची में थोड़े कपड़े रखकर दहशत के साए से निकल आए थे। परंतु आज उस घटना को 32 साल गुजर गए। उनके अलावा भी कश्मीर के कई अन्य पंडित परिवारों ने रात के अंधेरे में एक बैग कपड़ों का और कुछ नकदी के साथ बहू, बेटियों को छुपाते हुए घरबार छोड़ दिया था।
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