Uttarakhand pregnant women news: अब इसे चमत्कार कहें या चिकित्सकों और अस्पताल में मौजूद स्टाफ की लापरवाही, जिस प्रसूता को अस्पताल में सुविधा ना होने की बात कह कर रेफर कर दिया जाता है वह कभी अस्पताल के गेट पर तो कभी 108 एम्बुलेंस में देती है स्वस्थ बच्चे को जन्म…
राज्य में एक ओर जहां स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली आज किसी से छिपी नहीं है वहीं दूसरी ओर आए दिन सामने आने वाली चिकित्सकों, अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता की खबरें लोगों की जिंदगी के प्रति उनकी उदासीनता को प्रदर्शित करती है। ऐसी ही एक शर्मनाक घटना राज्य के कुमाऊं मंडल से सामने आ रही है जहां चिकित्सक प्रसूता को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल ही रेफर करते रहे। तीन अस्पतालों के धक्के खाने के बाद आखिरकार प्रसूता ने महिला अस्पताल हल्द्वानी के गेट पर बच्चे को जन्म दिया। वो तो गनीमत रही कि फिलहाल जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं अन्यथा दो और जिंदगियां सिस्टम की इस लापरवाही की भेंट चढ़ जाती। अब इसे चमत्कार कहें या चिकित्सकों और अस्पताल में मौजूद स्टाफ की लापरवाही, जिस प्रसूता को अस्पताल में सुविधा ना होने की बात कह कर रेफर कर दिया जाता है वह कभी अस्पताल के गेट पर तो कभी 108 एम्बुलेंस में स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है। खैर घटना के सामने आते ही हमारे जिम्मेदाराना अधिकारियों और स्वास्थ्य मंत्री ने संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
(Uttarakhand pregnant women news)
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प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के उधमसिंह नगर जिले के खटीमा तहसील क्षेत्र की रहने वाली प्रीति को प्रसव पीड़ा होने पर परिजन खटीमा के सरकारी अस्पताल ले गए। जहां डाक्टरों ने परिजनों को प्रीति का आपरेशन करने की सलाह देते हुए उसे सुशीला तिवारी अस्पताल रेफर कर दिया। चिकित्सकों ने परिजनों को इसका कारण एनेस्थेटिक डॉक्टर का छुट्टी पर होना बताया। जिस पर परिजन प्रीति को लेकर सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी पहुंचे। यहां प्रीति को भर्ती तो कर लिया गया परन्तु परिजनों का आरोप है कि देर रात को धोखे से डिस्चार्ज पेपर में साइन कराकर उसे वहां से ले जाने को कह दिया। प्रीति के पति मनोज, उसे डिस्चार्ज ना करने के लिए डाक्टरों के सामने बहुत गिड़गिड़ाए परंतु पत्थर दिल डाक्टरों एवं अस्पताल स्टाफ ने उनकी एक नहीं सुनी। मजबूरी में मनोज, आधी रात को ही प्रीति को लेकर राजकीय महिला अस्पताल ले गए परन्तु यहां जो हुआ उसकी कल्पना सपने में नहीं की जा सकती है। जैसे ही मनोज ने सुशीला तिवारी अस्पताल में प्रसूता का चेकअप होने की बात बताई तो जैसे अस्पताल स्टाफ को सांप सूंघ गया। उन्होंने प्रीति को भर्ती करने से ही मना कर दिया। आखिरकार असहनीय प्रसव पीड़ा से जूझती प्रीति ने तीन अस्पतालों की ठोखर खाने के बाद महिला अस्पताल के गेट पर एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे दिया है।
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