Uttarakhand Shaheed Chandrashekhar Harbola: बेटियों द्वारा पिता के बारे में पूछने पर अक्सर यह जबाव देती थी शहीद चन्द्रशेखर हर्बोला की पत्नी शांति, आखिरकार सच हुई उनकी यह बात…
करीब 38 साल पहले एक खबर ने शांति देवी सहित पूरे परिवार को झकझोर दिया था। दरअसल भारतीय सेना की 19 कुमाऊं रेजिमेंट में तैनात उनके पति चन्द्रशेखर, अपने 19 अन्य साथियों के साथ आपरेशन मेघदूत के दौरान सियाचिन के बर्फीले पहाड़ों में समा गए थे। ये दुखद खबर जैसे ही परिवार को मिली तो कोहराम मच गया। शादी के महज 9 वर्ष बाद अपने सुहाग के शहीद होने की खबर मिलते ही शांति देवी पर तो जैसे दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा। उस समय उनकी बड़ी बेटी कविता साढ़े चार साल व छोटी बेटी बबीता ढ़ाई साल की थी। इस विपरीत परिस्थितियों से उभरते हुए न केवल उन्होंने खुद को संभाला बल्कि बेटियों को पढा-लिखाकर उनके हाथ भी पीले कर दिए हैं। इस दौरान बेटियां अक्सर पिता के बारे में पूछती रहती थी। बेटियों के बार-बार पूछने पर वह झूठ बोलकर कहती थी कि उनके पिता चन्द्रशेखर दूर नौकरी करते हैं और वह 15 अगस्त को घर आ जाएंगे।
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अब इसे संयोग ही कहा जाएगा कि आखिरकार स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर ही शहीद चन्द्रशेखर हर्बोला के परिजनों को उनका पार्थिव शरीर मिलने की खबर मिली। हालांकि उनका पार्थिव शरीर मंगलवार को उनके घर हल्द्वानी पहुंचेगा। इस संबंध में हल्द्वानी एसडीएम मनीष कुमार सिंह ने बताया कि प्रशासन सेना और उनके परिवार के लगातार संपर्क में है। सेना की ओर से जानकारी दी गयी है कि मंगलवार को सुबह नौ बजे तिकोनिया स्थित आर्मी कैंट एरिया में पार्थिव शरीर पहुंचेगा। गौरतलब है कि मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता के रहने वाले चंद्रशेखर हर्बोला 19 कुमाऊं रेजिमेंट में तैनात थे। आपरेशन मेघदूत के दौरान मई 1984 में वह सियाचिन में पेट्रोलिंग करते समय ग्लेशियर टूटने की वजह से बर्फ में दब गए थे।
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