Almora Hansi prahari Death: एमए पास…बुलंद आवाज…गुमनाम जिंदगी..अब लावारिस की तरह हुई हंसी की विदाई, लंबी बीमारी के बाद कह गई अलविदा….
दो वर्ष पूर्व एकाएक सुर्खियों का हिस्सा बनी हंसी प्रहरी तो आपको याद ही होगी, जो हरिद्वार की सड़कों पर एक भिखारिन की जिंदगी व्यतीत कर रही थी। बता दें कि कभी छात्रसंघ उपाध्यक्ष रही हंसी के बारे में जैसे ही यह पता चला कि वह उच्च शिक्षित हैं और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने के बाद भी हरिद्वार की सड़कों पर भिक्षावृत्ति करके जीवनयापन कर रही हैं, तो वह एकाएक उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देश भर की राष्ट्रीय खबरों का भी हिस्सा बन गई थी। खोज खबर करने पर पता चला कि वह अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर क्षेत्र के हवालबाग ब्लॉक के रणखिला गांव रहने वाली हैं। इसके बाद हंसी की जिंदगी सुधारने के तमाम वादे हुए। कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या समेत सरकार के तमाम सिपाहसलारों द्वारा बड़े बड़े आश्वासन दिए गए परन्तु हालात जस के तस रहे। आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद हंसी बीते दिनों जिंदगी की यह जंग हार गई। लंबी बिमारी के बाद उनका निधन हो गया। हरिद्वार की तमाम संस्थाओं द्वारा उनके परिजनों को इसकी सूचना दी गई परंतु कोई भी उनके अंतिम दर्शन तक नहीं आया, आखिरकार हंसी एक लावारिस की तरह इस दुनिया से विदा हो गई। आखिरकार समाजसेवी भोला शर्मा ने उनका अंतिम संस्कार किया और हंसी के बेटे की जिम्मेदारी उठाने की बात कही।
(Almora Hansi prahari Death)
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बता दें कि मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर क्षेत्र के हवालबाग ब्लॉक के रणखिला गांव रहने वाली हंसी प्रहरी का बीते शुक्रवार को निधन हो गया है। वह काफी समय से बीमार थी। जिसके बाद बीते 22 दिसंबर को समाजसेवी भोला शर्मा ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया। हंसी के साथ उनका आठ साल का बेटा परीक्षित अस्पताल में रहा। समाजसेवी भोला शर्मा ने हंसी के भाइयों को भी उनकी बीमारी की सूचना दी थी, जिस पर उन्होंने अस्पताल आने का वादा भी किया था, परंतु वह नहीं आए। बीते शुक्रवार को हंसी का निधन होने पर भी बोला शर्मा द्वारा इसकी सूचना हंसी के भाइयों को दी गई, जिस पर भी उनके भाइयों ने असमर्थता जताई। जिस कारण अंतिम समय में भी हंसी को परिजनों का साथ नहीं मिला। इसे कुदरत का कहर ही कहा जाएगा कि कभी छात्रसंघ पदाधिकारी रहकर छात्रों की समस्या उठाने वाली हंसी को आखिरी समय में चार लोग भी कंधा देने के लिए नहीं मिले। भोला शर्मा ने उनका अंतिम संस्कार करते हुए हंसी के बेटे को अपने साथ रख लिया है।
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आपकों जानकर हैरानी होगी कि कुमाऊं विवि से दो विषयों से एमएम करने वाली हंसी प्रहरी ने अल्मोड़ा विधानसभा क्षेत्र से 2002 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। उनके सामने कांग्रेस के प्रत्याशी प्रदीप टम्टा थे। इसके बावजूद भी हंसी को अच्छे वोट मिले थे, हालांकि वह चुनाव हार गई थीं। लेकिन इस करारी टक्कर को याद करते हुए प्रदीप टम्टा ने कहा था कि उस समय उन्हें लगा था कि हंसी उलटफेर कर सकती है। दो वर्ष पूर्व मीडिया से बातचीत करते हुए प्रदीप टम्टा ने बताया था कि हंसी उच्च शिक्षित और तेज तर्रार महिला प्रत्याशी थीं। बताते चलें कि हंसी की जिंदगी खुशनवार गुजर रही थी। वर्ष 2011 में उनकी शादी भी बड़ी धूमधाम से हुई परंतु यही से उनके जीवन में दुखदाई मोड़ आने शुरू हुए। पारिवारिक कारणों से वह अपने पति से अलग हो गईं। कुछ समय मायके में रहने के बाद घर से निकलकर हरिद्वार आ गई। जीवन में वैराग्य उत्पन्न होने के कारण उन्होंने हरिद्वार रोडवेज स्टेशन को ही अपना ठिकाना बना लिया। बता दें कि हंसी के दो बच्चे हैं. उनकी बेटी नानी के साथ रहती है और जबकि 7 वर्षीय बेटा उनके साथ ही फुटपाथ पर रहता था।
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