हरिद्वार: इस शख्स ने ली हंसी प्रहरी के बेटे की पढ़ाई की जिम्मेदारी
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हंसी प्रहरी (Hansi prahari) के बाद सामने आया कनखल हरिद्वार (Haridwar) निवासी संजय शर्मा नाम का सख्स, किया हंसी के बेटे की सारी जिम्मेदारियां उठाने का दावा..
सोशल मीडिया के माध्यम से चर्चा मे आई हंसी प्रहरी (Hansi prahari) जो उच्च शिक्षित होने के बावजूद भी आज सड़कों पर भीख माँगकर गुज़ारा करने को मजबूर है। वह अपने साथ 6 साल के बेटे का भी भरण पोषण कर रही हैं। बता दे कि हंसी के दो बच्चे है, बेटी अपनी नानी के साथ रहती है और बेटा हंसी के साथ फुटपाथ पर जीवन काट रहा है, हंसी पढ़ी लिखी है इसीलिए अपने बेटे को वो इंग्लिश, हिंदी, संस्कृत पढ़ाती है, ऐसी दयनीय स्थिति मे जब बेटे का पालन पोषण करना भी असंभव था, बावजूद इसके भी हंसी का बेटा स्कूल जाता था। इसी बीच एक शख्स ने दावा किया कि वह हंसी के बेटे की जन्म के समय से ही जिम्मेदारी निभा रहा है। उसने हंसी के बेटे के स्कूल में अपना नाम बतौर संरक्षक दर्ज कराया हुआ है। हंसी के बेटे की जिम्मेदारी उठाने वाले शख्स ने अपना परिचय कनखल हरिद्वार(Haridwar) निवासी संजय शर्मा के रूप में दिया। उसने बताया कि वह वर्तमान में शहर के एक होटल में काम करता है। संजय ने हंसी के बेटे के स्कूल में भी माता पिता के बाद अपना नाम बतौर संरक्षक के रूप में दर्ज कराया है, हंसी के बेटे के मायापुर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल के प्रधानाचार्य ने भी इस बात की पुष्टि की है।
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अस्पताल के रिकॉर्ड में पिता के कॉलम में भी हंसी के पति के नाम के साथ संजय ने दर्ज कराया अपना नाम:-
ग़ौरतलब है कि लम्बे समय से फुटपाथ मे जीवन व्यतीत कर रही हंसी प्रहरी आजकल सोशल मीडिया मे काफ़ी चर्चाओं में हैं। हंसी के मीडिया पर सुर्खियो बनने के बाद संजय शर्मा नाम का एक शख्स सामने आया है जिसका कहना है कि उसने हंसी के बेटे की सारी जिम्मेदारियां उठाई है, संजय शर्मा ने मीडिया से की बातचीत मे यह भी बताया कि हंसी से उनकी मुलाकात करीब 10 साल पहले हरिद्वार रोडवेज स्टेशन मे हुई थी, तब हंसी लखनऊ से हरिद्वार पहुंची थी, उन्होंने यह भी बताया कि 12 अप्रैल 2014 को हंसी ने जिला अस्पताल में जब बेटे को जन्म दिया तो मैंने उसकी स्थिति को देखकर तय किया कि उसके बेटे की समस्त जिम्मेदारी में स्वयं उठाऊंगा और उसने हंसी को अपनी इच्छा बताई, हंसी ने भी इसकी सहमति दे दी, हंसी के बच्चे के जन्म के दौरान अस्पताल के रिकॉर्ड में पिता की कॉलम में हंसी के पति के नाम के साथ संजय ने अपना नाम भी दर्ज करा दिया था। संजय का कहना है कि हंसी जिस प्रकार का जीवन व्यतीत करती थी उसे देखते हुए उसने भी ऐसा ही जीवन चुन लिया, उसने यह भी कहा कि वह हंसी की सहायता के लिए कुछ साल पहले ही अपने घर परिवार से अलग रहने लगा लेकिन अपने बच्चों से मिलना जुलना जारी रखा हुआ है , संजय बताते हैं कि वह हंसी के बेटे का एडमिशन भेल स्थित केंद्रीय विद्यालय में करने की तैयारी कर रहा है।