Martyr Sanjay Bisht uttarakhand:बेटे को याद कर बेसुध हुई मां, पिता की आंखें नम तो भाई बहनों का भी रो रोकर बुरा हाल, आज शाम तक पहुंच सकता है पार्थिव शरीर….
Martyr Sanjay Bisht uttarakhand
बेटा वापस आजा, अपने जिगर के टुकड़े को याद कर रोते बिलखते बोले गए एक मां के इन चंद शब्दों को सुनकर तो पत्थर दिल भी पिघल जाए। इस वक्त कुछ ऐसा ही हृदयविदारक दृश्य देवभूमि उत्तराखंड के उस जांबाज बेटे के घर में हैं जिन्होंने मां भारती की रक्षा में आतंकियों से लोहा लेते हुए राजौरी में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। जी हां.. बात तो रही है राजौरी एनकाउंटर में शहीद हुए मां भारती के वीर सपूत लांसनायक संजय बिष्ट की, एक और जहां अपने जिगर के टुकड़े को याद कर उनकी मां मंजू देवी बेटे का नाम ले-ले कर बेसुध हो रही है। वहीं दूसरी ओर अपने जवान बेटे को याद कर उनके पिता देवेंद्र सिंह बिष्ट की आंखें भी नम हैं। शहीद के बड़े भाई नीरज बिष्ट, बड़ी बहन विनीता और छोटी बहन ममता का भी रो रोकर बुरा हाल है। आपको बता दें कि शुक्रवार सुबह सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस ने अंतिम श्रद्धांजलि दी, जिसके बाद शहीद जवानों के पार्थिव शरीरों को अंतिम संस्कार के लिए उनके पैतृक गांव की ओर रवाना किया। बताया जा रहा है कि शहीद संजय का पार्थिव शरीर शुक्रवार शाम तक उनके पैतृक गांव पहुंच सकता है।
Martyr Sanjay Bisht uttarakhand
Martyr Sanjay Bisht Rajouri
गौरतलब है कि मूल रूप से राज्य के नैनीताल जिले के बेतालघाट ब्लाक के रातीघाट क्षेत्र के हरी गांव निवासी संजय बिष्ट, बीते बुधवार को राजौरी के दरमसाल के बाजीमल इलाके में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। बता दें कि अपनी पांचवीं कक्षा तक की पढ़ाई वसंत वैली पब्लिक स्कूल नैनीताल से करने वाले संजय ने 6 से 12वीं तक की पढ़ाई रातीघाट इंटर कॉलेज से की थी। जिसके बाद वह रानीखेत से 19 कुमाऊं रेजिमेंट में भर्ती हो गए थे। सेना में भर्ती होने के बाद तीन साल सियाचिन में अपनी सेवा दी। जिसके बाद पीटी कोर्स और कठिन ट्रैनिंग के बाद उनका चयन पैरा कमांडो में हो गया था तथा वर्तमान में वह जम्मू कश्मीर के उधमपुर 9 पैरा बटालियन में तैनात थे। वह एक माह पूर्व अपने दादा के निधन पर घर आए थे। और बीते 4 नवंबर को ही छुटियां खत्म कर उन्होंने दुबारा ड्यूटी ज्वाइन की थी।
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कमांडर के सवाल पर बोले थे संजय, सर 7 दिन के भीतर मैं कुछ बड़ा करके आपको दिखाऊंगा…
Sanjay Bisht Army
बता दें कि शुक्रवार सुबह शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे नॉर्दन कमांड के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने संजय की शहादत को सलाम करते हुए बताया कि 9 पैराएसएफ में तैनात कमांडो संजय बिष्ट को उन्होंने बीते 18 नवंबर को ही वीरता का तमगा लगाया था। इस दौरान जब उन्होंने संजय से पूछा कि अब आगे क्या करना चाहते हैं। तो संजय ने बुलंद हौसलों से जवाब देते हुए कहा था कि सर 7 दिन के भीतर मैं कुछ बड़ा करके आपको दिखाऊंगा। इस घटना के महज 5 दिन के भीतर ही उन्होंने अपना वादा पूरा करते हुए आतंकियों के दांत खट्टे कर दिए। उन्होंने आतंकियों को खत्म करने के लिए अपनी जान की बाजी तक लगा दी, जिसका परिणाम यह हुआ कि 36 घंटे तक चली इस मुठभेड़ में भारतीय सेना के जवानों ने अफगानिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक शीर्ष कमांडर सहित दोनों आतंकियों को मार गिराया। हालांकि इस इस ऑपरेशन में कैप्टन एमवी प्रांजल (मैंगलोर, कर्नाटक), कैप्टन शुभम गुप्ता (आगरा, यूपी), हवलदार अब्दुल माजिद (पुंछ, जम्मू कश्मीर), लांस नायक संजय बिस्ट (उत्तराखंड) और पैराट्रूपर सचिन लौर (अलीगढ़, यूपी ) को वीरगति प्राप्त हुई।
(Sanjay Bisht Army)