Connect with us
Uttarakhand Government Happy Independence Day
Bhagirathi Bisht Chamoli
फोटो सोशल मीडिया

चमोली

स्पोर्ट्स

बधाई: चमोली की भागीरथी बिष्ट को 42 KM रेस में मिला प्रथम स्थान बढ़ाया प्रदेश का मान…

Bhagirathi Bisht Chamoli: भागीरथी ने परिवार की विषम परिस्थितियों से जूझते हुए हासिल किया मुकाम, महज तीन वर्ष की उम्र में सिर से उठ गया था पिता का साया….

Bhagirathi Bisht Chamoli
विषम परिस्थितियों से घिरे उत्तराखण्ड राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। पर्वतीय क्षेत्रों में भले ही अभी भी संसाधनों की कमी हो परंतु यहां के वाशिंदों ने कभी परिस्थितियों के आगे घुटने टेकना और हार मानना नहीं सीखा है। यही कारण है कि आज पहाड़ के वाशिंदे लगभग सभी क्षेत्रों में अपनी काबिलियत का परचम लहराकर सफलता के ऊंचे ऊंचे मुकाम हासिल कर रहे हैं। खासतौर पर यहां की बेटियां पहाड़ जैसे बुलंद हौसलों के साथ लगातार प्रगति के पथ पर आगे बढ़कर न केवल ऊंचे ऊंचे मुकाम हासिल कर रही है बल्कि अपनी काबिलियत के दम पर समूचे प्रदेश का भी मान बढ़ा रही हैं। आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी ही होनहार बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने अटारी अमृतसर बॉर्डरमैन मैराथन-2024 में 42 किमी की मैराथन दौड़ में अपने प्रतिद्वंद्वियों को काफी पीछे छोड़ते हुए प्रथम स्थान हासिल कर समूचे उत्तराखण्ड को गौरवान्वित होने का सुनहरा अवसर प्रदान किया है। जी हां… हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के चमोली जिले के देवाल विकासखण्ड के वाण गांव की रहने वाली भागीरथी बिष्ट की, जिन्होंने इस प्रतियोगिता में सम्मिलित हुए देशभर के 1614 धावकों को पीछे छोड़ते हुए 42 किमी की मैराथन दौड़ में पहला स्थान हासिल किया है।
यह भी पढ़ें- बधाई: पिथौरागढ़ के ब्रजेश यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग कप के लिए चयनित बढ़ाया प्रदेश का मान…

बता दें कि एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली भागीरथी ने जीवन में तमाम मुश्किलों को पार कर वॉक रेस में यहां तक का सफर तय किया है। उनकी सफलता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें अब ‘फ्लाइंग गर्ल’ के रूप में प्रसिद्धि मिल रही है। वह इससे पूर्व भी राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की क‌ई वॉक रेस प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी है। बात अगर उनके संघर्षमय जीवन की करें तो जब भागीरथी महज तीन वर्ष की थी तो उनके सिर से पिता का साया उठ गया। पिता के आकस्मिक निधन से उनके परिवार में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उनकी मां ने जैसे तैसे इस दुखदाई क्षण में खुद को संभालते हुए बेटी की परवरिश शुरू की। बड़े होने पर भागीरथी पढ़ाई के साथ साथ घर का सारा काम भी खुद ही करती थीं। यहां तक कि उन्होंने अपने खेतों में हल भी चलाया। लेकिन परिवार की इन विषम परिस्थितियों से जूझने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वाण गांव के राजकीय इंटर कॉलेज से अपनी शिक्षा दीक्षा प्राप्त करने वाली भागीरथी बचपन से ही स्कूल में आयोजित होने वाली कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल, एथलेटिक्स प्रतियोगिता में न केवल प्रतिभाग करती थी बल्कि उन्होंने इन प्रतियोगिताओं में हमेशा पहला स्थान प्राप्त किया।
यह भी पढ़ें- बधाई: चमोली की सरोजनी ने नेशनल चैंपियनशिप में हासिल किया स्वर्ण पदक बढ़ाया राज्य का मान

बता दें कि भागीरथी की काबिलियत को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय एथलीट और ग्रेट इंडिया रन फेम, सिरमौरी चीता के नाम से मशहूर सुनील शर्मा ने उनके समक्ष प्रैक्टिस कराने का प्रस्ताव रखा तो भागीरथी को इस पल पर विश्वास ही नहीं हुआ। बताते चलें कि सुनील ने यह प्रस्ताव भागीरथी द्वारा वाण गांव से महज 36 घंटे में सबसे कठिन रोंटी रूट को बिना रुके और बिना संसाधनों के नाप कर बनाए गए रिकॉर्ड को देखते हुए रखा था। जिसके बाद सुनील उनके गुरु बन गए। सुनील के मार्गदर्शन में कठिन प्रशिक्षण प्राप्त कर भागीरथी लगातार आगे बढ़ती गई। बीते वर्ष ही उन्होंने जवाहरलाल नेहरू माउंटिनेटिंग इंस्टीट्यूट-विंटर स्कूल और कश्मीर टूरिज्म की ओर से आयोजित हुई 11 किलोमीटर की लिडरवेट ट्रेल मैराथन में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया था। भागीरथी अब भविष्य में ओलंपिक गेम्स खेलकर भारत के लिए गोल्ड मेडल हासिल करना चाहती है।

यह भी पढ़ें- हल्द्वानी की आंचल जोशी ने कथक में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में किया नाम दर्ज बढ़ाया प्रदेश का मान…

उत्तराखंड की सभी ताजा खबरों के लिए देवभूमि दर्शन के WHATSAPP GROUP से जुडिए।

👉👉TWITTER पर जुडिए।

More in चमोली

UTTARAKHAND GOVT JOBS

Advertisement Enter ad code here

UTTARAKHAND MUSIC INDUSTRY

Advertisement Enter ad code here

Lates News

deneme bonusu casino siteleri deneme bonusu veren siteler deneme bonusu veren siteler casino slot siteleri bahis siteleri casino siteleri bahis siteleri canlı bahis siteleri grandpashabet
To Top