Nainidanda Pauri Garhwal news: अस्पताल खेलते रहे रेफर रेफर का खेल, चार अस्पतालों में नहीं मिला उपचार, सिस्टम से लड़ते हुए जिंदगी की जंग हार गया युवक, परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर लगाए लापरवाही के आरोप….
Nainidanda Pauri Garhwal news
राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था आज किसी से भी छिपी नहीं है। यह कड़वी सच्चाई है कि पहाड़ के अस्पताल आज महज रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं। जिसका खामियाजा आए दिन पहाड़ के आम जनमानस को भुगतना पड़ रहा है। आए दिन कई ग्रामीण मौत के मुंह में समाते जा रहे हैं लेकिन शासन प्रशासन इस स्थिति को सुधारने में नाकाम साबित हो रहा है। आज फिर ऐसी ही एक दुखद खबर राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले से सामने आ रही है जहां नैनीडांडा विकासखण्ड के देवलधर गांव के रहने वाले अमित रावत की बीते दिनों तबीयत खराब हो गई । जिस पर परिजनों ने उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धुमाकोट पहुंचाया। जिसके बाद परिजनों ने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नैनीडांडा और सीएचसी रामनगर पहुंचाया, जहां सीटी स्कैन करने के उपरांत चिकित्सकों ने उसे राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल हल्द्वानी रेफर कर दिया। हद तो तब हो गई जब मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी से भी उसे दिल्ली के लिए रेफर कर दिया। लेकिन इससे पहले कि परिजन अमित को दिल्ली के अस्पताल में भर्ती करा पाते, उसने रास्ते में ही दम तोड दिया। इस तरह पहाड़ की बदहाल एवं लचर स्वास्थ्य व्यवस्था ने एक और युवा को काल का ग्रास बना दिया। इस घटना से जहां मृतक के परिजनों में कोहराम मचा हुआ है वहीं उन्होंने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जिलाधिकारी एवं मुख्य चिकित्साधिकारी से उचित कार्रवाई की मांग की है।
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Pauri Amit Rawat Died
प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के नैनीडांडा ब्लाक के देवलधर गांव निवासी 24 वर्षीय अमित रावत, दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करता था। बताया गया है कि बीते दिनों वह गांव में होने वाले एक पूजा कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए अपने घर आया था। इसी दौरान बीते 22 मई की रात को उसकी तबीयत अचानक खराब हो गई। गांव तक सड़क ना होने के कारण अमित के परिजन, अन्य ग्रामीणों के साथ उसे चारपाई पर रखकर दो किलोमीटर की पैदल चढ़ाई चढ़ते हुए सड़क मार्ग तक लाए। जहां से उसे 108 के जरिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धुमाकोट पहुंचाया गया परंतु वहां कोई चिकित्सक मौजूद ना होने के कारण परिजनों ने तुरंत उसे सीएचसी नैनी डांडा पहुंचाया, जहां से चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के उपरांत अमित को हायर सेंटर सीएचसी रामनगर रेफर कर दिया। यहां भी सीटी स्कैन करने के उपरांत चिकित्सकों ने उसे हायर सेंटर मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी रेफर कर दिया। परिजन ने, इस आस में कि शायद हल्द्वानी में अमित का बेहतर उपचार हो जाए, अमित को मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी पहुंचाया लेकिन यहां से भी उसे यह कहते हुए दिल्ली के लिए रेफर कर दिया कि अस्पताल में न्यूरो सर्जन नहीं है। परिजनों के मुताबिक अमित के एक हाथ और एक पांव ने अचानक काम करना बंद कर दिया था।
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इस तरह एक ओर उत्तराखण्ड के अस्पताल रेफर-रेफर का खेल खेलते रहे वहीं दूसरी ओर दिल्ली ले जाते समय अमित ने रास्ते में ही दुनिया को अलविदा कह दिया। अब भला एक बीमार युवा कब तक पहाड़ के इन गंभीर हालातों से लड़ पाता। वो भी तब जबकि पहाड़ के अस्पतालों और ग्रामीणों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया हों। इन गंभीर हालातों को देखते हुए तो यही लगता है कि पहाड़ के लोगों की जिंदगी अब केवल भगवान के ही हाथों में है। क्योंकि यहां के अस्पताल या तो केवल शोपीस बनकर रह गए हैं, जिनमें ना तो चिकित्सक ही तैनात हैं और ना ही आवश्यक उपकरण। या फिर हायर सेंटर के नाम पर तुरंत दूसरे अस्पतालों को रेफर करने वाले रेफरल सेंटर। कारण भले ही जो भी हों परंतु इस दुखदाई घटना ने एक बार फिर पहाड़ की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। जो न सिर्फ हमारे लिए शर्मनाक बात है बल्कि इससे भी अधिक शर्मनाक बात तो उन हुक्मरानों और अधिकारियों के लिए है जो ऊंचे ऊंचे पदों की कुर्सियों पर बैठे हुए हैं। परंतु अफसोस इस बात का है कि चुनाव के समय बड़े बड़े वादे कर आम जनमानस के आगे वोट की भीख मांगने वाले हमारे जनप्रतिनिधियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारा एक युवा सिस्टम की नाकामियों से लड़ते हुए जिंदगी की जंग हार गया। खैर मामला संज्ञान में आने के बाद न सिर्फ पौड़ी की मुख्य चिकित्साधिकारी ने मामले की विस्तृत जांच के आदेश जारी कर दिए हैं बल्कि उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशक निदेशक विनीता शाह ने भी मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह भी खबर है कि जिस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धुमाकोट में अमित को सबसे पहले ले जाया गया था, वहां तैनात चिकित्सक फरमान, बिना किसी सूचना के बीते एक माह से गायब हैं।