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Harshita died due to Diptheria Disease in kapkote bageshwar

उत्तराखंड: पहाड़ो में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली, बच्ची को रेफर ही करते रहें और बेटी ने दम तोड़ा

पहाड़ की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था ने ली एक और मासूम की जान, गलघोंटू बिमारी (Diptheria Disease) का बागेश्वर(Bageshwar) में तीन महीनों से फैला है प्रकोप, अभी तक आठ मासूमों की जा चुकी है जान..

पहाड़ की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था से आज हर कोई वाकिफ हैं। छोटी से छोटी बीमारी में भी पहाड़ के अस्पताल रेफरल सेंटर बने रहते हैं। बावजूद इसके न तो सरकार और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था में कोई सुधार नहीं किया जाता, जिससे क‌ई लोग असमय ही काल के ग्रास बन जाते हैं। पहाड़ की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की दुखदाई तस्वीर इन दिनों बागेश्वर जिले में देखने को मिल रही है जहां बीते तीन महीनों से गलघोंटू बीमारी (Diptheria Disease) का कहर जारी है। लेकिन अभी तक न तो स्वास्थ्य विभाग जिले के अस्पतालों में एंटी टॉक्सिन की व्यवस्था करा पाई है और न ही राज्य सरकार इसकी सुध ले रही है। इस गम्भीर बीमारी से अब तक जिले में सात मासूमों की जान जा चुकी है। आज फिर बागेश्वर जिले(Bageshwar) से एक दुखद खबर आ रही है जहां गलघोंटू बीमारी की चपेट में आकर एक और बारह वर्ष की मासूम बच्ची की मौत हो गई। यह जिले में गलघोंटू बीमारी के कारण हुई आठवीं मौत है। इस दुखद घटना से जहां बच्ची के परिजनों में कोहराम मचा हुआ है वहीं पूरे क्षेत्र में दहशत के साथ ही शोक की लहर है।

आठ मासूमों की मौत के बाद भी लापरवाह स्वास्थ्य विभाग और सरकार नहीं उपलब्ध करा पाई जिले के अस्पतालों में इस बीमारी का उपचार, दहशत के साए में जीने को मजबूर क्षेत्रवासियों में भारी रोष:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के बागेश्वर जिले में पिछले तीन महीनों से गलघोंटू बीमारी का कहर जारी है। बताया गया है कि जिले के गरूड़ क्षेत्र के सिमखेत निवासी हरीश सिंह की बेटी हर्षिता भी एक हफ्ते पहले इस बीमारी की चपेट में आ गई थी। जिस पर हर्षिता के परिजन उसे जिला अस्पताल बागेश्वर लेकर गए, जहां उसकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ। जिस पर चिकित्सकों ने उसे हायर सेंटर रेफर कर दिया। चिकित्सकों द्वारा रेफर किए जाने पर परिजन हर्षिता को सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी ले गए, जहां बीते रविवार को उपचार के दौरान उसने दम तोड दिया। मासूम की मौत से परिजनों में कोहराम मच गया। परिजनों की आंखों से जहां आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं वहीं पूरे क्षेत्र में गमहीन माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले तीन महीने से जिले में लगातार गलघोंटू बीमारी के रोगी सामने आ रहे हैं परन्तु लापरवाह स्वास्थ्य विभाग और सरकार अब तक जिले के अस्पतालों में उसके उपचार की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं जिसके कारण अभी तक आठ मासूमों की मौत हो चुकी है जबकि क‌ई अभी भी अस्पतालों में भर्ती है। इससे साफ प्रतीत होता है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग अभी भी लापरवाह बना हुआ है।

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