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उत्तराखण्ड में बन रहे हैं फर्जी स्थाई निवास, कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत का बड़ा खुलासा Deepak Rawat
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fake domicile permanent residence certificate document kumaon Commissioner IAS Deepak Rawat Uttarakhand latest news today: हल्द्वानी में फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र रैकेट का पर्दाफाश, कुमाऊं कमिश्नर का छापा संवेदनशील दस्तावेज बरामद, सरकारी मिलीभगत की जांच शुरू
fake domicile residence certificate document kumaon Commissioner IAS Deepak Rawat Uttarakhand latest news today: उत्तराखण्ड से एक बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। जी हां मामला फर्जी स्थाई निवास प्रमाण पत्र को लेकर है। जिससे अधिकारियों की मिली भगत से किस तरह राज्य के मूल निवासियों के अधिकारों का हनन हो रहा है, इस बात की बानगी देखते ही बनती है।
ताज़ा मामला राज्य के नैनीताल जिले हल्द्वानी तहसील क्षेत्र से सामने आया है जहां बनभूलपुरा क्षेत्र में गुरुवार देर शाम उस वक्त हडंकप मच गया जब कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत ने अचानक एक सीएससी सेंटर पर छापा मारकर फर्जी दस्तावेज तैयार करने के संगठित खेल का खुलासा किया। कार्रवाई के दौरान दस्तावेज लेखक फैजान मिकरानी को फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र तैयार करते हुए मौके पर पकड़ा गया। शिकायत और शुरुआती जांच के बाद कमिश्नर ने स्वयं मौके पर पहुंचकर कार्रवाई को अंजाम दिया।
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शिकायत जनता दरबार तक पहुँची, कमिश्नर ने खुद किया सत्यापन IAS Deepak Rawat Audit
बताया गया है कि कुछ दिन पहले बरेली निवासी रईस अहमद ने कमिश्नर दीपक रावत के जनता दरबार में शिकायत की थी कि उसके नाम का इस्तेमाल कर किसी अन्य व्यक्ति को उत्तराखंड का स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी किया गया है। मामला संवेदनशील था, इसलिए कमिश्नर ने गुप्त जांच कराई। जांच में पाया गया कि हल्द्वानी तहसील में काम करने वाला फैजान मिकरानी इस तरह के फर्जी दस्तावेज तैयार करता है।
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छापे में सामने आया बड़ा नेटवर्क IAS Deepak Rawat News Today
गुरुवार देर शाम कमिश्नर रावत बनभूलपुरा स्थित सीएससी सेंटर पहुंचे तो वहां हड़कंप मच गया। जांच के दौरान पता चला कि फैजान न सिर्फ फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाता था, बल्कि इसके लिए वह अन्य लोगों के दस्तावेजों और मोबाइल नंबरों का दुरुपयोग भी कर रहा था। छापे में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए, जिनमें शामिल हैं- आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी, बिजली के बिल और अन्य निजी कागजात। बताया गया है कि ये सभी दस्तावेज अलग-अलग व्यक्तियों के थे और इनके फैजान के पास होने का कोई औचित्य नहीं था। इससे साफ है कि लंबे समय से जालसाजी का खेल चल रहा था।
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कैसे बनाया गया फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र?
जांच में सामने आया कि फैजान ने यूपी निवासी रईस अहमद के लिए फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए हल्द्वानी के एक अन्य रईस अहमद के दस्तावेजों का उपयोग किया। आवेदन करते समय उसने उस व्यक्ति का मोबाइल नंबर दर्ज किया, जो पहले किसी दूसरे काम से उसके पास आया था। उसी नंबर पर आए ओटीपी को लेकर उसने पूरा आवेदन पूरा कर दिया।
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सरकारी कर्मचारियों की भूमिका भी शक के दायरे में
छापे के दौरान कमिश्नर ने देवेंद्र पांडे, नंदी पांडे और जलीस से भी पूछताछ की। फैजान ने इन सभी के नामों पर फर्जी ईमेल आईडी बनाकर दस्तावेज तैयार किए थे। छानबीन में इस बात के संकेत मिले हैं कि कुछ सरकारी विभागों के कर्मचारी भी इस नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं। कमिश्नर को कई पुराने बिजली बिल भी मिले, जिन्हें फर्जी आवेदन में पते के प्रमाण के रूप में लगाया गया था। इसी आधार पर विद्युत विभाग के संबंधित कर्मचारियों से भी पूछताछ की गई।
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बहुस्तरीय जांच शुरू
कमिश्नर दीपक रावत ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने एसडीएम को क्षेत्रीय पटवारी की भूमिका की जांच करने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि वे दस्तावेजों को ऑनलाइन सत्यापित करते हैं। पुलिस अधिकारियों को भी गहन जांच कर इस पूरे नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं। जिसके बाद फैजान मिकरानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। प्रशासन अब इस बात की जांच कर रहा है कि इस तरीके से उसने कितने और फर्जी प्रमाण पत्र तैयार किए हैं।
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बिना लाइसेंस चला रहा था दूसरा सीएससी सेंटर
छापे में यह भी सामने आया कि फैजान का एक और सीएससी सेंटर बनभूलपुरा क्षेत्र में बिना अनुमति के चल रहा था। कमिश्नर ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि तहसील परिसर सहित किसी भी स्थान पर बिना लाइसेंस के दस्तावेज लेखन का काम करते पकड़े जाने पर तत्काल कार्रवाई होगी।
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