Stories By Devbhoomi Darshan Desk
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उत्तराखण्ड
कुमाऊंनी कविता- “- हमर उत्तराखंड छा रछा सबे जगा…” दीपा कुनियाल (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)
January 29, 2025कुमाऊंनी कविता- हमर उत्तराखंड छा रछा सबे जगा…..Deepa kuniyal poems हमर उत्तराखंड छा रछा सबे जगा।...
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उत्तराखण्ड
चमोली: शिक्षिका बबीता जोशी 38वे राष्ट्रीय खेलों में तकनीकी अधिकारी के रूप में कार्य करेंगी
January 29, 2025Babita Joshi Chamoli: व्यायाम शिक्षिका बबीता जशी 38 वे राष्ट्रीय खलों में संभालेंगी तकनीकी अधिकारी का...
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उत्तराखण्ड
कुमाऊंनी कविता- “उ दिन का गौ हुन्याल….” विराट रैरतोलिया (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)
January 29, 2025कुमाऊंनी कविता – उ दिन का गौ हुन्याल….Virat Rairtoliya poem उ दिन का गौ हुन्याल कमेटक...
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उत्तराखण्ड
कुमाऊंनी कविता लोकगीत- “कसि मजबूरी हयी हमुलै छोड़ पहाड़ा” कमलेश ऐरी (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)
January 29, 2025पलायन पर कुमाऊंनी कविता (लोकगीत)- कसि मजबूरी हयी हमुलै छोड़ पहाड़ा….kamlesh airy poem कसि मजबूरी हयी...
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उत्तराखण्ड
गढ़वाली कविता- “उत्तराखंड लोक संस्कृति……” सूरज नेगी (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)
January 29, 2025गढ़वाली कविता- उत्तराखंड लोक संस्कृति….Suraj Negi poem उत्तराखंड लोक संस्कृति कन प्यारी लगदी हे मांजी !...
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उत्तराखण्ड
गढ़वाली कविता- “छोटू तने देखा बरू…..” अनीश (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)
January 29, 2025गढ़वाली कविता- छोटू तने देखा बरू…Anish poem छोटू तने देखा बरू तने देखा या फिर देखा...
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उत्तराखण्ड
गढ़वाली कविता- “फूलदेई….” कैलाश उप्रेती कोमल (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)
January 29, 2025गढ़वाली कविता- फूलदेई…kailash Upreti komal poems फूलदेई फुल्यार एेगे, बसन्तै बयार ल्यैगे | हैंसदा फूलों तैं...
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उत्तराखण्ड
कुमाऊंनी कविता- “गौ घर छोड़ बेर जानी प्रदेश…” निधि मेहरा (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)
January 29, 2025कुमाऊंनी कविता- गौ घर छोड़ बेर जानी प्रदेश….Nidhi Mehra poem सुनल्यों ईजा, आजेक रात तुमकु बतुनु...
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उत्तराखण्ड
गढ़वाली कविता- “धै लगौन्दा…..” कैलाश उप्रेती कोमल (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)
January 29, 2025गढ़वाली कविता- धै लगौन्दा….kailash Upreti komal poem गौं का गौं वीरान पड़्या , अब हमतैं धै...
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उत्तराखण्ड
कुमाऊंनी कविता- “असोजै तवाई….” पी एस भाकुनी पनदा (काव्य संकलन देवभूमि दर्शन)
January 29, 2025कुमाऊंनी कविता- असोजै तवाई…..P. S. Bhakuni poem —————— घर ऐ जाओ असोज लै रौ, पछिल कौला...