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Chamoli disaster: Always I cut the forest but a tree gave me life ... Vikram chauhan wept

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चमोली आपदा: हमेशा मैंने जंगल काटे लेकिन एक पेड़ ने मुझे जीवन दान दे दिया…कहते ही रो पड़े विक्रम

Chamoli Disaster: हमेशा मैंने जंगल काटे लेकिन एक पेड़ ने मुझे जीवन दान दे दिया…कहते ही रो पड़े खुदाई आपरेटर विक्रम चौहान(Vikram Chauhan) 

हमारे बड़े बुजुर्ग वर्षों से यह बात दावे के साथ कहते रहे हैं कि पेड़ न केवल हमारी जमीन और प्रकृति की रक्षा करते है वरन हमें जीने के लिए बहुत सुख सुविधाएं भी देते है। इतना ही नहीं पेड़ों में प्रकृति के विनाश को रोकने की ताकत भी होती है। अभी तक भले ही हमने इन बातों को सुनकर क‌ई बार अनसुना किया हों, परन्तु बीते दिनों चमोली में आई आपदा(Chamoli Disaster) की एक घटना ने इन बातों पर फिर से जोर दिया है। बीते रविवार को आई आपदा में जहां क‌ई लोग मौत के मुंह में समा गए वहीं अधिकांश लोग अभी भी लापता हैं। परन्तु इन सब में एक शख्स ऐसा भी है जिसकी जान एक पेड़ ने बचाई है। जी हां.. हम बात कर रहे हैं चमोली त्रासदी में मौत को काफी करीब से देखने वाले विक्रम चौहान(vikram Chauhan) की, जो एक खुदाई आपरेटर के तौर पर आजीवन प्रकृति को नुकसान पहुंचाते रहे, पेड़ों को काटते रहे, पहाड़ों को काटते रहे और जमीन को खोदते रहे परन्तु इस आपदा में एक पेड़ ने ही उनकी जान बचाई। ये बात खुद विक्रम ने अस्पताल में इलाज के दौरान अपनी आपबीती सुनाते हुए कही। और इतना कहते-कहते विक्रम रो पड़े।
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गौरतलब है कि बीते रविवार को चमोली जिले में एकाएक ऋषिगंगा नदी का जलस्तर बढ़ गया था। अचानक आए इस तबाही के मंजर ने 200 से अधिक लोगों को अपने आगोश में समा लिया था। चमोली जिले के लम्बागढ़ गांव के रहने वाले विक्रम चौहान भी उन्हीं में से एक हैं। विक्रम उन लोगों में से जिन्होंने न केवल इस तबाही को काफी करीब से देखा बल्कि मौत के मुंह से बचकर भी आए हैं। बता दें कि विक्रम एक खुदाई आपरेटर है जो बीते पांच वर्षों से ऋषिगंगा में निर्माणाधीन डैम पर काम कर रहे थे। विक्रम के मुताबिक वह रोज की तरह रविवार को भी अपने काम पर लगें थे। तभी अचानक ऊपर की ओर से ठंडे पानी का एक भयंकर सैलाब आया। इसके बाद जो हुआ उसे सारे देश ने देखा। पानी का यह सैलाब विक्रम के साथ ही सैकड़ों लोगों को अपने साथ बहा कर ले गया। विक्रम खुशकिस्मत थे कि वह एक पेड़ से टकराए और उन्होंने उस पेड़ को कसकर पकड़ लिया। करीब आधे घंटे तक उस पेड़ से लटके रहे। ठंडे पानी में भीगने के कारण वह काफी ठिठुर रहे थे। इसी बीच रैंणी गांव के कुछ लोगों ने उन्हें देखा। उन्होंने विक्रम को न सिर्फ वहां से निकाला बल्कि उसे बचाने के लिये पास में मौजूद एक गर्म स्त्रोत में डुबा दिया। जिस कारण उनकी जान बच गई। विक्रम के चिकित्सक भी इस बात को मानते हैं कि उन्हें प्रकृति ने बचाया, गांव वालों द्वारा उन्हें गर्म पानी के स्त्रोत में डालना भी इसका महत्वपूर्ण कारण रहा।

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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