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पिथौरागढ़

पिथौरागढ़ :मां हुई बेसुध, 5 साल के बेटे और पत्नी को बिलखता छोड़ अलविदा कह गया वीर जांबाज

सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार से ताल्लुक रखता है शहीद (martyr) शंकर, पांच साल के बेटे के साथ अपने पीछे छोड़ गया है भरा पूरा परिवार..

आज फिर राज्य के दो वीर सपूतों ने मां भारती की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। दोनों राज्य के सैन्य बहुल जिले पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं। जी हां.. उसी पिथौरागढ़ के जहां के प्रत्येक घर का कोई न कोई सदस्य सेना में है। राज्य का पिथौरागढ़ जिला न सिर्फ देश को सैनिक देने में आगे है अपितु यहां के लाखों सैनिकों ने बार्डर पर मां भारती की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान भी दिया है। आज फिर जिले के गंगोलीहाट तहसील के एक छोटे से गांव का रहने वाला शंकर सिंह महरा ने वतन की हिफाजत के लिए अपनी शहादत दी है। शंकर बीते शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना की नापाक हरकतों का जबाव देते हुए शहीद (martyr)हो गया। जैसे ही शंकर की शहादत की खबर परिजनों को मिली तो परिवार में कोहराम मच गया। शंकर की शहादत की खबर से उसके परिवार ही नहीं अपितु पूरे गांव में मातम पसर गया। शंकर की पत्नी और मां तो इस दुखद खबर को सुनकर ही बार-बार बेसुध हो जा रही है। सेवानिवृत्त सैनिक पिता जैसे तैसे परिवार को संभालने की कोशिश कर रहे हैं परन्तु बेटे को खोने का ग़म उनके चेहरे पर साफ झलक रहा है। शहीद शंकर डेढ़ माह पहले ही अवकाश पूरा कर ड्यूटी में लौटा था।


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दो वर्ष पहले शहीद हुए सुगड़ी गांव के पवन सिंह की चचेरी बहन से हुआ था शंकर का विवाह:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में अपनी शहादत देने वाला शंकर सिंह मेहरा गंगोलीहाट तहसील के नाली गांव का रहने वाला है। शंकर वर्तमान में 21 कुमाऊं रेजिमेंट में नायक पद जम्मू कश्मीर में तैनात था। वह एक सैनिक परिवार से ताल्लुक रखता है। जहां शंकर के पिता मोहन सिंह सेना से सेवानिवृत्त हैं वहीं उसका छोटा भाई नवीन सिंह भी सेना के राष्ट्रीय रायफल में जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं। बताया गया है कि शंकर 11 वर्ष पहले सेना में भर्ती हुआ था और सात वर्ष पहले उसका विवाह, दो वर्ष पूर्व शहीद हुए सुगड़ी गांव निवासी पवन सिंह की चचेरी बहन इंदु से हुआ था। शंकर की शहादत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मचा हुआ है। शहीद की मां जानकी देवी और पत्नी इंदु बार-बार बेहोश हो जा रहे हैं। शंकर का एक पांच वर्ष का मासूम बेटा हर्षित भी है। जो अभी तक गुमसुम बैठा है। हर्षित हल्द्वानी में एलकेजी में पढ़ता है। उसकी मासूमियत को देखकर सांत्वना देने वाले लोगों की आंखों में भी आंसू आ रहे हैं।


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