पुलवामा एनकाउंटर में शहीद वीर मेजर विभूति शंकर ढौंडियाल की शहादत से जहाँ पूरा उत्तराखण्ड शोक की लहर में है , वही घर पर पत्नी निकिता कौल भी पति से हुई अंतिम बातो और शादी के बाद हुए वादों को याद कर फिर आज अपने अतीत में जिने को मजबूर है। लेकिन मेजर विभूति की पत्नी निकिता किसी जांबाज सैनिक से कम नहीं है जी हां ये हम नहीं कह रहे है बल्कि मेजर विभूति की अंतिम विदाई में उमड़ा जन सैलाब इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। उन्हीने अंतिम विदाई में तीन बार शहीद पति को हुंकार भरते हुए ” जय हिन्द बोला ” जैसे ही ये वीरांगना की आवाज समूचे जन सैलाब में गुंजी तो हर किसी की नम आँखों से जय हिन्द की आवाज वापस आई। जय हिन्द के बाद वो बस ” आई लव यू विभु ही कह सकी और फिर फफक फफक कर रो पड़ी “।
सांत्वना देने आई महिला पर इस तरह गुस्सा फुट पड़ा – यह तो किसी भी पत्नी के लिए स्वाभाविक है की उसके जीवनसाथी का साथ छूट जाने पर अब इस दुनिया में उसका कोई करीबी हमदर्द नहीं रहता जिससे वह अपनी हर दिल की बात कर सके। जब घर पर ढाढस बंधाने आई एक महिला कहने लगीं, ‘दस महीने ही हुए थे, बेचारी की शादी को।’ इस पर निकिता बोल पड़ीं, “बेचारी नहीं हूं मैं”। फिर सास से बोलीं, मम्मी आप बेचारे हो क्या? क्यों इतना रो रहे हो? क्यों मुझे बेचारी कहा जा रहा है? इसके प्रतिउत्तर में निकिता कहती हैं, मैंने फौजी से शादी की इतनी मजबूत हूं ही कि खुद और परिवार को संभाल सकूं। वो कहती है विभूति शादी के बाद दो बार ही छुट्टी आए थे और फिर सालगिरह पर आने का वादा कर गए थे। हमारे कई सपने थे, कई अरमान थे और प्यार क्या होता है, यह अहसास विभूति ने ही कराया। वह मेरा बहुत सम्मान करते थे। दस महीने पहले निकिता मेजर विभूति की दुल्हन बनकर आई थीं। घर की दीवारों पर उनके हल्दी के हाथों के निशान का रंग अभी फीका भी नहीं पड़ा था की आज उसी घर के आंगन से मेजर विभूति तिरंगे में लिपटकर अंतिम यात्रा पर जा रहे थे।