जिस बेटे के घर में सहरा बांधने का इन्तजार हो रहा था , आज वही लाडला तिरंगे में लिपटकर ताबूत में बंद होकर घर पंहुचा तो परिजन रो रो कर बिलख पड़े। परिजनों को ढाढ़स बंधाने वालो का घर पर तांता लगा हुआ है , माँ बार बार बेसुध हो जा रही है। मेजर चित्रेश बिष्ट का पार्थिव शरीर रविवार को देहरादून पहुंच गया था। शहीद के पार्थिव शरीर को वायुसेना के विमान से जॉलीग्रांट एयरपोर्ट लाया गया। इस दौरान वहां सेना के अधिकारियों ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की। पार्थिव शरीर को आज सुबह 8 बजे तक मिलिट्री हॉस्पिटल देहरादून में ही रखा गया था, क्योकि चित्रेश के बड़े भाई नीरज बिष्ट ब्रिटेन में नौकरी करते थे, उनके आने के बाद ही अंतिम संस्कार करना था। वो भी रविवार की शाम ब्रिटेन से दून पहुंच गए। शहीद मेजर का पार्थिव शरीर नेहरू कॉलोनी उनके आवास पर पहुंच चूका है , उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पूरा जान सैलाब उमड़ पड़ा । इस दौरान शहीद चित्रेश अमर रहे, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगते रहे। श्रद्धांजलि देने के बाद हरिद्वार में शहीद का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तहसील के अंतर्गत पीपली ग्राम निवासी मेजर चित्रेश बिष्ट जम्मू कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में 21जीआर में तैनात थे। वो यहाँ इंजीनियरिंग विभाग में मेजर के पद पर कार्यरत थे। मेजर चित्रेश भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से वर्ष 2010 में पासआउट हुए थे। वर्तमान में वह सेना की इंजीनियरिंग कोर में थे। गौरतलब है की जम्मू कश्मीर में एलओसी पर शनिवार को राजोरी जिले के नौशेरा सेक्टर में पाकिस्तान की बार्डर एक्शन टीम (बैट) की ओर से बिछाई गई आईईडी को डिफ्यूज करते समय हुए विस्फोट में सेना के मेजर चित्रेश बिष्ट शहीद हो गए। चित्रेश की सात मार्च को शादी होनी थी, जिसके लिए उन्होंने पिता से 28 फरवरी को छुट्टी आने का वादा किया था। परिवार और रिश्तेदार के लोग अपनी अपनी पसंद के कपड़े और चीजें खरीदने में व्यस्त थे, मगर चित्रेश शादी में मां को अपनी पसंद की साड़ी में देखना चाहते थे। माँ बार बार बेटे की याद में और अंतिम बार हुई बातो को दोहरा कर बेसुध हो जा रही है।