कोरोना ने नैनीताल (nainital) की प्रवासी युवती को पैदल घर जाने को किया मजबूर..
कोरोना वायरस ने जहां तमाम देशों की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया है वहीं प्रवासियों पर भी कोरोना ने अपना कहर बरपाया है। सही मायने में देश-विदेश में काम करने वाले प्रवासी ही इसका सबसे ज्यादा शिकार हुए हैं। कोरोना के कारण न सिर्फ उनकी नौकरी चलें गई है बल्कि अब तो खाने-पीने के भी लाले पड़ रहे हैं। यही कारण है कि अब प्रवासी केवल और केवल अपने घर लौटना चाह रहे हैं। अब तो ये कोरोना से इतने परेशान हो गए हैं कि सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। उत्तराखण्ड के नैनीताल(nainital) जिले की रहने वाली अनीता की दास्तान भी कुछ ऐसी ही है, जिसे सुनकर कोई पत्थर दिल भी पिघल जाएगा। जी हां.. गाजियाबाद में नौकरी करने वाली अनीता की पहले तो लॉकडाउन होने के बाद नौकरी चलें गई और फिर उसके मकान मालिक ने कमरा छोड़ने के लिए दबाव डाला। इतने पर भी उसकी परेशानियां कम नहीं हुई और उसे 350 किमी का सफर पैदल ही तय करना पड़ा।
परिस्थितियों के कारण मजबूर अनीता ने पैदल तय किया 350 किमी का सफर:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के नैनीताल (nainital) जिले के कोटाबाग की रहने वाली अनीता, गाजियाबाद की एक कंपनी में नौकरी करती थी। लॉकडाउन के कारण पहले तो उसे कम्पनी ने निकाल दिया और फिर मकान मालिक किराए के लिए परेशान करने लगा। किराया न देने पर उस पर कमरा छोड़ने का भी दबाव बनाया। इतना ही नहीं नौकरी चलें जाने के बाद उसके रोज के दुकानदार ने भी सामान देने से मना कर दिया। जैसे-तैसे अनीता ने चालीस-पैतालिस दिन गाजियाबाद में मजबूरी में गुजारे तभी प्रवासियों को आवाजाही की छूट मिलने की घोषणा को सुनकर अनीता को जल्द घर पहुंचने की उम्मीद दिखाई दी। राज्य सरकार के कहने पर उसने भी अन्य प्रवासियों की तरह पंजीकरण कराया परन्तु ना तो सरकार की ओर से कोई से कोई संदेश मिला और ना ही प्राइवेट गाड़ी का इंतजाम हुआ। थक-हारकर अनीता ने पैदल ही घर को चलने का निश्चय किया, और गाजियाबाद से पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़ी।