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Nainital news: Kumaoni books will be included in 1-5 class school & Janakavi girda famous folk song in prayers.

उत्तराखण्ड

नैनीताल: 5वीं तक के स्कूलों में कुमाऊंनी बोली में होगी पढ़ाई, स्कूलों में गूंजेगा गिर्दा का लोकगीत

Kumaoni books school prayers: जिलाधिकारी धीराज की अभिनव पहल, प्रार्थना में भी सुनाई देंगे प्रसिद्ध कुमाऊंनी लोकगीत उत्तराखंड मेरी मातृ भूमि, मातृ भूमि मेरी पितृ भूमि… के बोल

कुमाऊंनी बोली भाषा को बढ़ावा देने के लिए राज्य के नैनीताल जिले में न‌ई पहल शुरू की जा रही है। बताया गया है कि बीते रोज जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार के भीमताल में आयोजित हुई बैठक में इस बात‌ का निर्णय लिया गया कि एक से पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम को कुमाऊनी भाषा में जल्द प्रारंभ किया जाए। उन्होंने इसके लिए आवश्यक निर्देश भी जिला शिक्षा अधिकारी को दिए। इतना ही नहीं उन्होंने जनपद के सभी विद्यालयों में सुबह की प्रार्थना सभा में प्रसिद्ध जनकवि स्व. गिरीश तिवारी गिर्दा का प्रसिद्ध गीत उत्तराखंड मेरी मातृ भूमि, मातृ भूमि मेरी पितृ भूमि… सम्मिलित करने के निर्देश भी जिला शिक्षा अधिकारी को दिए।
(Kumaoni books school prayers)
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प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के नैनीताल जिले के प्राइमरी से लेकर इंटरमीडिएट तक के स्कूलों में सुबह की प्रार्थना के समय जल्द ही जनकवि स्व. गिरीश तिवारी गिर्दा का प्रसिद्ध गीत उत्तराखंड मेरी मातृ भूमि, मातृ भूमि मेरी पितृ भूमि… के स्वर सुनाई देगें। जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्यांल ने इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश बीते रोज भीमताल में आयोजित बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी को दिए। इस संबंध में बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस लोकगीत के बोल गुनगुनाने से स्कूली बच्चों को अपने राज्य, अपनी मातृभूमि, हिमालय पर्वत, तराई से लेकर भाबर तक के महत्व, के साथ ही बदरीनाथ, केदारनाथ, कनखल और हरिद्वार के अलावा कैलाश पर्वत के महत्व को भी समझने में मदद मिलेगी। बता दें कि नैनीताल जिले का पदभार संभालने से पूर्व पौड़ी गढ़वाल जिले की जिम्मेदारी संभाल चुके आईएएस धीराज ने पौड़ी में भी यह पहाड़ी भाषा को बढ़ावा देने के लिए अभूतपूर्व पहल शुरू की थी। उन्हीं के दिशानिर्देशन में पौड़ी जिले में पांचवीं तक के छात्र-छात्राओं के लिए पांच गढ़वाली पुस्तकों को तैयार करवाया गया था।(Kumaoni books school prayers)

यह भी पढ़ें- उत्तराखण्ड : नई पहल, स्कूल में पारंपरिक पहाड़ी वाद्य यंत्रों की थाप पर प्रार्थना की हुई शुरुआत

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