पहाड़ो के सरकारी स्कूल से पढ़कर बेटा बना सेना में अफसर ,गौरवशाली माता पिता ने बेटे के कंधो पर लगाया स्टार
कहते है जिनके हौसले बुलंद होते है , उनको उड़ने के लिए पंखो की जरुरत नहीं होती है , ऐसे ही कुछ बुलंद हौसले है, पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट सीमांत क्षेत्र के भूपेंद्र जोशी के जो अपने संघर्ष से एक सेना के जवान से अधिकारी बने। उन्होंने साबित किया है कि लगन हो तो जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है। सेना के जवान से अधिकारी तक का सफर तय करने के लिए उन्होंने कड़ी मशक्कत की, जिसके सकारात्मक परिणाम स्वरूप आज वो भारतीय सेन में अफसर है।
मूल शिक्षा और आगे का सफर : गंगोलीहाट के हनेरा वार्ड के मल्लाछाना निवासी भूपेंद्र जोशी बचपन से ही काफी मेधावी थे। गंगोलीहाट में सरस्वती शिशु मंदिर और विवेकानंद विद्या मंदिर से आठवीं तक की शिक्षा लेने के बाद उन्होंने केएनयू जीआईसी पिथौरागढ़ से 83 प्रतिशत अंकों के साथ इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इंटरमीडिएट करने के बाद वे बीटेक के लिए लखनऊ कहले गए जहाँ से एक वर्ष तक बीटेक करने के दौरान वर्ष 2006 में वे सेना के ईएमई में बतौर सिपाही के रूप में भर्ती हो गए। लेकिन जूनून तो था सेना में बड़ा अफसर बनना और भर्ती होने के साथ ही उन्होंने सेना में अधिकारी बनने का लक्ष्य तय कर लिया। कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद वर्ष 2017 में उन्हें सेना में कमीशन मिल गया। एक वर्ष के प्रशिक्षण के बाद उन्हें बिहार के गया में आयोजित पासिंग आउट परेड के बाद सेना में अधिकारी पद पर तैनाती मिल गई।
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पहाड़ो में जहाँ लोग शिक्षा का हवाला देकर शहरो की और पलायन कर रहे है , वही ये बेटा भी पहाड़ो के सरकारी स्कूल से निकलर बड़ा अफसर बना है। माता पिता को जब पासिंग आउट परेड मैदान में होनहार बेटे के कंधे पर स्टार लगाने का अवसर मिला तो खुशी से गौरवशाली माता पिता की आंखे छलक आयी। भूपेंद्र के पिता दिनेश जोशी दिन्नू गुरु जल निगम में सुपरवाइजर के पद पर तैनात होने के साथ-साथ क्षेत्र के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य भी हैं। उनकी माता चंद्रा जोशी गृहणी हैं। भूपेंद्र के बड़े भाई रवींद्र जोशी नगर में मेडिकल स्टोर चलाते हैं।
