पहाड़ की संस्कृति का रंग अगर किसी मंच पर उभर जाएं तो वह रंगमंच किसी को भी थिरकने को मजबूर करदें, ऐसा जलवा रखती है अपने पहाड़ की संस्कृति, और अगर यह रंगमंच 10 दिनों का एक महोत्सव बन जाए तो कहना ही क्या? जी हां हम बात कर रहे हैं, मुम्बई में आयोजित होने वाले उस कार्यक्रम की जो प्रवासी उत्तराखंडियों के साथ-साथ मुम्बई वासियों के दिल में भी बसता है। मुंबई में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम को मुम्बई कौथिग के नाम से जाना जाता है। देवभूमि उत्तराखंड के लोग कहीं भी रहें, देवभूमि उत्तराखंड की यादें, यहां की परम्पराएं एवं त्योहार सदैव उनके दिलों-दिमाग में रहती हैं। जगह-जगह देवभूमि की संस्कृति एवं सभ्यता को सहेजने के लिए एवं प्रवासी उत्तराखंड वासियों को अपनेपन का अहसास कराने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मुंबई कौथिग भी इसी प्रकार का एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है जो मुम्बई में रहने वाले पहाड़ वासियों को अपनेपन का अहसास कराने के साथ-साथ पहाड़ की संस्कृति को सहेजने का प्रयास करता है। यह भी देखे-गरम पानी (नैनीताल) उत्तरायणी महोत्सव में दक्ष कार्की छा गया अपने नए गीत से
महा कौथिग मुंबई में छाई रही त्विशा भट्ट: अपने 12 वें वर्ष में प्रवेश कर चुके मुम्बई महाकौथिग का उद्घाटन इस बार 18 जनवरी को हुआ। 10 दिन तक चलें इस कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ देवभूमि के प्रसिद्ध कलाकारों ने अपने गीतों का ऐसा समां बांधा कि कोई भी दर्शक खुद को थिरकने से नहीं रोक सका। महाकौथिग मुंबई का आगाज इस वर्ष भी प्रत्येक वर्ष की भांति मुंबई के नेरुल (रामलीला मैदान ) में 18 जनवरी से प्रारम्भ हुआ। जिसमे अनमोल प्रोडक्शन और कुमाउँनी घचेक की पूरी टीम सम्मिलित हुई थी। गोपी भिना जैसी फिल्म में बतौर नायिका अपना हुनर दिखा चुकी हिलीवूड अभिनेत्री त्विशा भट्ट ने 26 जनवरी को नेरुल मुंबई महाकौथिग में अपनी बेहतरीन प्रस्तुति को स्व. लोकगायक पप्पू कार्की को समर्पित किया। कुमाउँनी घचेक टीम के मुख्य कलाकार नमित सिंह खाती देवभूमि दर्शन से खाश बात चित में कहते है की ” यह कहना उचित नहीं है की उत्तराखण्ड की संस्कृति विलुप्त हो रही है , बल्कि यही सही समय है जब देश विदेश में हमारी पहाड़ी संस्कृति और परपंरा अपने चरम पर है।”