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उत्तराखण्ड: पहाड़ की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं ने ली एक और प्रसूता की जान, प्रसव के बाद हुई मौत

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उत्तराखण्ड: पहाड़ की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं ने ली एक और प्रसूता की जान, प्रसव के बाद हुई मौत

Uttarakhand: महज रेफर सेंटर बने पहाड़ के अस्पताल, अल्मोड़ा (Almora) में बच्ची को जन्म देने के आधे घण्टे बाद गर्भवती महिला (Pregnant women) ने तोड़ा दम..

भले ही सरकारें राज्य (Uttarakhand) में विकास होने की बात कहती रहती हों परन्तु जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। बात अगर स्वास्थ्य सेवाओं की करें तो पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि पहाड़ के अस्पताल आज महज रेफर सेंटर बन कर रह गए हैं। कहीं उपकरणों की कमी तो कहीं चिकित्सकों की, बावजूद इसके हमारा सिस्टम केवल मूकदर्शक की भूमिका निभा रहा है। सरकारों के साथ ही सिस्टम की इस उदासीनता का खामियाजा आए दिन पहाड़ की भोली-भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है। आज फिर राज्य के अल्मोड़ा (Almora) जिले से प्रसव के बाद गर्भवती महिला की मौत की दुखद खबर आ रही है। बताया गया है कि अल्मोड़ा महिला अस्पताल में सामान्य प्रसव से बेटी को जन्म देने के आधे घंटे बाद ही प्रसूता ने अपना दम तोड दिया। प्रसूता की मौत की खबर से जहां परिजनों में कोहराम मच गया वहीं नवजात बच्ची की जन्म की खुशियां मातम में बदल गई। सबसे दुखद बात तो यह है कि अल्मोड़ा महिला अस्पताल में प्रसव के बाद गर्भवती महिला (Pregnant women) की मौत होने का यह कोई पहला मामला नहीं है बल्कि इससे पहले भी कई गर्भवती महिलाएं चिकित्सकों या मशीनों के अभाव में अपनी जान गंवा चुकी है। परंतु अभी तक रोते-बिलखते परिवारों की चीख पुकार सरकारी सिस्टम को नहीं सुनाई दे रही है।
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वेंटिलेटर मिल जाता तो शायद बच सकती थी दुर्गा की जान:-

प्राप्त जानकारी के अनुसार मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर चनौदा के खिराकोट गांव के रहने वाले कैलाश सिंह की पत्नी दुर्गा भाकुनी गर्भवती थी। बताया गया है कि बीते सोमवार सुबह को दुर्गा को प्रसव‌ पीड़ा होने लगी। जिस पर परिजन उसे लेकर सोमेश्वर अस्पताल पहुंचे। जहां से चिकित्सकों ने दुर्गा को हायर सेंटर रेफर अल्मोड़ा रेफर कर दिया। जिस पर परिजनों ने दुर्गा को अल्मोड़ा महिला अस्पताल में भर्ती कराया। जहां रात दस बजे के आसपास उसने सामान्य प्रसव से एक बच्ची को जन्म दिया। नवजात बच्ची की किलकारियां सुनकर परिजनों की‌ खुशी का ठिकाना नहीं रहा, परन्तु उनकी यह खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक सकी। बच्ची को जन्म देने के कुछ ही देर बाद अचानक दुर्गा की तबीयत बिगड़ने लगी। देखते ही देखते दुर्गा ने दम तोड दिया। दुर्गा की मौत की खबर से परिजनों में कोहराम मच गया। बता दें कि तबीयत बिगड़ने के दौरान यदि दुर्गा को वेंटिलेटर मिल जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी। परन्तु अल्मोड़ा महिला अस्पताल को कोरोना काल में मिले दो वेंटीलेटर अभी तक शो-पीस बने हुए हैं। जगह के अभाव में इन वेंटिलेटरों को अब तक स्थापित नहीं किया जा सका है। जिसका खामियाजा आए दिन गम्भीर रूप से बीमार मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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