उत्तराखण्ड के फौजी जहाँ हमेशा अपनी मौन मूक शहादत देते आए है और अपनी जान की बाजी लगा कर देश सेवा के लिए तत्पर रहते है वही उत्तराखण्ड का एक जाबाज फौजी जिंदगी की जंग लड़ रहा है । उत्तराखंड में चमोली कोट गांव निवासी और सेकंड गढ़वाल राइफल का जवान दलबीर सिंह नेगी पांच साल से बिस्तर पर जिंदगी की जंग लड़ रहा है। बीमारी के चलते सेना ने जवान को रिटायर कर दिया, लेकिन रिटायर के आठ माह बाद भी सैनिक को पेंशन नहीं मिल रहा है और न ही उपचार का खर्चा मिल रहा है।
सोशल मीडिया पर उनके लिए गुहार लगाई जा रही है सोशल मीडिया पर उनके रिस्तेदारो के द्वारा प्रकाशित पोस्ट के अनुसार एक मार्च 2013 को रिश्तेदारी से वापस आते हुए कंडारीखोड़ के पास पहाड़ी से पत्थर आने से दलबीर सिंह नेगी पुत्र खड़क सिंह बेहोश हो गए उन्हें एमएच अस्पताल रानीखेत ले जाया गया।
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डॉक्टर ने दलबीर को कोमा में होने की बात कह बृजलाल अस्पताल हल्द्वानी रेफर कर दिया। महज तीन दिनों में छह लाख का खर्चा होने पर सैनिक को सेना के आरआर अस्पताल दिल्ली ले जाया गया, लेकिन हालात में सुधार नहीं होने पर जून 2013 में सैनिक को एमएच रानीखेत शिफ्ट कर दिया गया।जनवरी 2018 में सेना की ओर से दलबीर को रिटायर कर दिया गया और साथ में दिया तीमारदार भी हटा दिया गया। 13 सितंबर 2018 को सैनिक को हल्द्वानी के एक निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया।अस्पताल में 25 से 30 हजार प्रतिदिन उपचार और तीमारदार का खर्चा है। दलबीर को सेना ने रिटायर तो कर दिया, लेकिन 8 माह बाद भी पेंशन नहीं मिल पाई है। ऐसे में दलबीर की देखभाल में दिक्कतें आ रही हैं।