Ekta Arya Aipan Artist: मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले की रहने वाली है एकता, कुमाऊं की विलुप्तप्राय लोककला ऐपण को स्वरोजगार का जरिया बनाकर मजबूत कर रही है अपनी आर्थिकी…
Ekta Arya Aipan Artist: एक और जहां राज्य में बेरोज़गारी चरम सीमा पर है और पर्वतीय क्षेत्रों के अधिकांश वाशिंदों रोजगार की तलाश में अपना घर बार छोड़कर बड़े शहरों की ओर रूख करने को विवश हैं वहीं कुछ होनहार युवा ऐसे भी हैं जो अपने दम पर न केवल अपने सुनहरे भविष्य की नींव रख रहे हैं बल्कि क्षेत्र के अन्य लोगों को भी रोजगार मुहैया करा रहे हैं। खासतौर पर राज्य की कई प्रतिभाशाली बेटियां आज न केवल अपनी सांस्कृतिक धरोहर और लोककला को आगे बढ़ाने का काम कर रही है बल्कि अपनी परंपराओं को सहेजते हुए इन्हें स्वरोजगार का जरिया बनाकर अपनी आर्थिकी भी मजबूत कर रही है। आज हम आपको राज्य की एक और ऐसी हुनरमंद बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं। जी हाँ….. हम बात कर रहे हैं मूल रूप से राज्य के अल्मोड़ा जिले की रहने वाली एकता आर्या की, जो कुमाऊं की लोक कला ऐपण को सहेजने, जीवंत रखने व कुमाउनी संस्कृति को देश-विदेश में प्रचारित प्रसारित करने के साथ ही इसे अपने स्वरोजगार का जरिया बनाकर न केवल प्रतिमाह 30 हजार की आय अर्जित कर रही है बल्कि उन्होंने क्षेत्र की ही 5-6 अन्य महिलाओं को भी रोजगार प्रदान किया है।
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आपको बता दें उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक नगरी के नाम से विख्यात अल्मोड़ा की रहने वाली एकता आर्या बचपन से ही कला की विविध विधाओं को कागज पर उकेरने की शौकीन हैं। अपनी शिक्षा दीक्षा प्राप्त करने के उपरांत वर्ष 2020 में आई कोरोना महामारी के दौरान लगे देशव्यापी लाकडाउन का सदुपयोग करते हुए उन्होंने न केवल कुमाऊं की इस पारम्परिक लोक विधा ऐंपण की बारीकियां सीखीं और इसके लिए उन्होंने कई जगह प्रशिक्षण भी प्राप्त किया बल्कि अपनी कड़ी मेहनत और लगन के बलबूते धीरे-धीरे वह इसमें पारंगत भी होने लगी। यही कारण है कि आज वह ऐंपण कला का प्रयोग कर न केवल विभिन्न उत्पादों को नया रूप दे रही है बल्कि प्रतिमाह 30 हजार रुपए की आय भी अर्जित कर रही है। सोशल मीडिया के साथ ही आनलाइन मार्केटिंग से उन्हें देश के दूसरे राज्यों के साथ ही विदेशों से भी भरपूर आर्डर मिल रहे हैं। बात अगर केवल दीपावली के त्योहार की करें तो उन्होंने मिट्टी के दियों में लाल रंग भरकर उन्हें सफेद रंग के ऐंपण से इस प्रकार चित्रित किया कि उनकी शोभा देखते ही बनती थी। यही कारण था कि न केवल अल्मोड़ा बाजार में उनके ऐंपण वाले इन मिट्टी के दियों को लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया बल्कि लाल और सफेद रंग की कलाकृति वाले इन दियों को आगरा, लखनऊ, पटना जैसे देश के बड़े बड़े शहरों से भी काफी मात्रा में खरीदा गया।
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आज 5-6 महिलाओं के साथ एक टीम के रूप में काम कर रही एकता को इन बुलंदियों का सर्वाधिक श्रेय जहां उनकी कड़ी मेहनत और लगन को जाता है वहीं अल्मोड़ा जनपद के हवालबाग स्थित ग्रामीण व्यवसाय इनक्यूबेटर ने भी इसमें काफी अहम भूमिका अदा की है। यही वह संस्था है जिन्होंने एकता के साथ ही क्षेत्र की अन्य महिलाओं को न केवल विभिन्न तरह के ऑनलाइन प्रशिक्षण ,उद्यम आधार, जीएसटी पंजीकरण आदि की सुविधा उपलब्ध करवाई बल्कि व्यवसाय और एक अच्छे व्यवसायी की बारिकियों से भी अवगत कराया। इसके साथ ही इन्क्यूबेटर सेंटर ने एकता के उत्पादों का फोटो शूट एवं उत्पाद विवरण लिखने में भी सहयोग प्रदान किया। इतना ही नहीं एकता के उत्पादों को अमेजन जैसे कई ऑनलाइन शॉपिंग माध्यम में सूचीबद्ध करवाने में इस संस्था ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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आपको बता दें कि वर्ष 2022 में ऐंपण उत्पादों को जीआई टैग भी प्रदान किया जा चुका है। बताते चलें कि वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में देहरादून जनपद में आयोजित गुल्लक कार्यक्रम में भी एकता ने प्रतिभाग किया था। जहां उनके ऐंपण उत्पादों की न केवल जमकर सहराना हुई बल्कि स्वयं मुख्यमंत्री द्वारा राज्य सरकार की ओर से उन्हें 25 हजार रुपये की धनराशि बतौर अनुदान प्रदान की गई है। मीडिया से बातचीत में एकता बताती है कि वर्तमान में वह पूजा थाल, करवाचौथ पूजा सेट, प्रिंटेड कप, लोक देवी-देवताओं के चित्र, नेम प्लेट, कुशन, राखियां आदि उत्पादों पर ऐंपण उकेरकर उन्हें लोगों के सम्मुख प्रस्तुत कर रही है। जिन्हें उत्तराखण्ड के साथ ही देश विदेशों में रहने वाले अन्य लोगों द्वारा भी काफी पसंद किया जा रहा है। वह न केवल अपने उत्पादों की आनलाइन मार्केटिंग कर रही है बल्कि वह अपने उत्पादों को स्थानीय ऑनलाइन प्रदर्शनियों एवं मेलो आदि में भी विक्रय कर रही है।