जहाँ एक और उत्तराखण्ड में लोग पहाड़ो में शिक्षा व्यवस्था का हवाला देकर शहरो की और रवाना हो रहे है, वही सभी सैन्य अफसर पहाड़ो से ही निकलकर आ रहे है। ये भी अपने आप में एक विडंबना ही है , की लोगो ने जिस शिक्षा प्रणाली को तुच्छ बताकर शहरों की और पलायन किया आज उसी शिक्षा प्रणाली में पढ़े बच्चे उच्च पदों पर उच्चाधिकारी और सैन्य अफसर बन रहे है , अभी कुछ दिन पहले ही शनिवार (8 दिसंबर) को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से पासआउट आंकड़ों से ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। उत्तराखण्ड ने 26 जाबांज कैडेट देश को दिए भारतीय सेना को जाबांज कैडेट देने में उत्तराखण्ड चौथे स्थान पर है। इनमे से अधिकतर जाबांज पहाड़ो से ही पढ़ कर निकले है।
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बता दे की बागेश्वर जिले के चौड़ा गांव के मोहन चंद्र जोशी के बेटे हरीश चंद्र जोशी सैन्य अधिकारी बन गए हैं। उनकी इस उपलब्धि से पुरे परिवार और क्षेत्र में खुशी का माहौल है , उनके घर पर रिस्तेदारो और पड़ोसियों का बधाई देने के लिए ताँता लगा हुआ है। उन्होंने ओटीए गया(बिहार ) में आर्मी कैडेट का प्रशिक्षण प्राप्त किया। पासिंग आउट परेड में उनका पूरा परिवार उनके साथ था। हरीश के पिता लोनिवि में कलर्क के पद पर कार्यरत हैं, व उनकी पत्नी दीप्ति जोशी गृहणी हैं। पहाड़ से निकले इस जाबांज अफसर ने कही बाहर जाकर कोई कोचिंग और स्पेशल क्लासेस नहीं ली बल्कि पहाड़ से ही अपनी मूल शिक्षा और उच्च शिक्षा प्राप्त की। सैन्य अफसर हरीश ने प्राथमिक से इंटर तक की शिक्षा रानीखेत और बीएससी कुमाऊं विश्वविद्यालय से की। वर्ष 2005 में वे सेना में सीनियर टेक्निकल पोस्ट से भर्ती हुए, लेकिन सपना तो सैन्य अफसर बनना था। इसी सपने को साकार करने का दृढ़ संकल्प लेकर आठ दिसंबर 2018 को इंजीनियरिंग में कमीशन प्राप्त किया। इसी कड़ी मेहनत का सकरात्मक परिणाम है की आज वो भारतीय सेना में अफसर बने है।