Geeta Pant Pirul Rakhi: अल्मोड़ा की गीता पंत ने चीड़ की पत्ती (पिरूल) से बनाई राखियाँ, उत्तराखंड के साथ ही अन्य राज्य से भी आ रही है भारी डिमांड
उत्तराखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं है यहां के युवा देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने हुनर का परचम लहरा रहे हैं। भाई बहन का त्योहार राखी के आने पर जहां उत्तराखंड की ऐपण राखियां बाजार में अपनी एक अलग छाप छोड़ रही हैं वही पिरूल से बनी राखियो की भी डिमांड बढ़ रही है । हम आपको उत्तराखंड की ऐसी ही एक प्रतिभाशाली बेटी से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसने पढ़ाई के साथ साथ पिरूल की राखियाँ बनाई है, जिनकी मांग उत्तराखंड के साथ ही अन्य राज्यों से भी आ रही है।जी हां हम बात कर रहे हैं अल्मोड़ा जिले के चमकना गांव मानिला की गीता पंत की जो चीड के पिरूल की खूबसूरत राखियाँ बना रही हैं। गीता पंत के इस स्वरोजगार की बेहद सराहना हो रही है।(Geeta Pant Pirul Rakhi)
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प्राप्त जानकारी के अनुसार अल्मोड़ा जिले के अंतर्गत सल्ट ब्लाक निवासी गीता पंत लाल बहादुर शास्त्री संस्थान हल्दूचौड़ बीएड चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा हैं। बता दें कि गीता ने चीड़ के(पिरूल) से राखी बनाने का कार्य पिछले वर्ष से शुरू किया। पिछले साल गीता ने पिरूल की सैंकड़ों राखियां बनाकर अमेरिका के साथ ही उत्तराखंड के विभिन्न जिलो में भेजी। इस बार भी उन्हें जम्मू कश्मीर ,गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा व फरीदाबाद सहित उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से भी राखियों की अच्छी खासी डिमांड आ रही है। बताते चलें कि उनकी बनाई राखियों की कीमत 45 रुपये से लेकर 50 रुपये तक की हैं। इस बार गीता पंत की राखियों का कारोबार पिछले साल की तुलना में दोगुना होने की उम्मीद है।
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