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उत्तराखंड: पहाड़ में मचाई थी दहशत लोगों को मौत के घाट उतारने वाला आदमखोर गुलदार पिंजरे में कैद

UTTARAKHAND GULDAR

उत्तराखण्ड

टिहरी गढ़वाल

उत्तराखंड: पहाड़ में मचाई थी दहशत लोगों को मौत के घाट उतारने वाला आदमखोर गुलदार पिंजरे में कैद

Uttarakhand Guldar :आतंक का पर्याय बन चुका गुलदार पिंजरे में कैद (Leopard Caught), देवप्रयाग में क‌ई लोगों पर हमला कर किया था घायल..

राज्य में जंगली जानवरों का आतंक जारी है। इसी बीच राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले से एक अच्छी खबर आ रही है जहां आतंक का पर्याय बन चुका आदमखोर गुलदार (Uttarakhand Guldar) पिंजरे में कैद हो गया है। यह वही गुलदार है जिसने बीते दिनों देवप्रयाग से चार किमी दूरी पर बाइक सवार पर हमला कर उसे घायल कर दिया था। इतना ही नहीं गुलदार ने दो रोज पूर्व एक दूध व्यवसायी पर भी हमला किया था। अब गुलदार के पिंजरे में कैद होने से क्षेत्रवासियों ने राहत की सांस ली है। गुलदार के पिंजड़े में कैद होने की खबर लगते ही ग्रामीण हर्षित होकर उसे देखने उमड़ पड़े। वन विभाग के कर्मचारियों ने गुलदार को तहसील स्थित वन विभाग चौकी में रखा है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह गुलदार करीब ढाई साल का है और इसे चिड़ियापुर भेजा जा रहा है। बता दें कि गुलदार को पकड़ने के लिए वन विभाग ने तीन रोज पूर्व यहां पिंजरा लगाया था, जिसमें बृहस्पतिवार सुबह गुलदार फंस गया। (Leopard Caught)
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मलेथा में महिला को शिकार बनाने वाले गुलदार का अभी भी कोई सुराग नहीं, क्षेत्र में तैनात हैं शिकारी:-

उधर दूसरी ओर टिहरी गढ़वाल जिले के ही कीर्तिनगर तहसील के मलेथा गांव में बीते 7 अगस्त को महिला को अपना निवाला बनाने वाले गुलदार का अभी तक कोई सुराग नहीं है। ग्रामीणों की मांग पर वन विभाग ने क्षेत्र में न सिर्फ गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाया है बल्कि मशहूर शिकारी जॉय हुकिल को भी तैनात किया है। शिकारी के साथ-साथ वन विभाग की टीम भी गुलदार की तलाश कर रही है। बता दें कि मलेथा गांव में गुलदार ने उस वक्त दुर्गा देवी पुत्री स्व• मनवर सिंह पर हमला किया था जब वह रात के आठ बजे के आसपास अपने घर के बरामदे में लेटी थी। मृतक महिला का क्षत-विक्षत शव घर से कुछ ही दूरी पर खेतों के पास झाड़ी से बरामद हुआ था। जिससे ग्रामीणों में दहशत फैल गई थी और उन्होंने वन विभाग से गुलदार को पकड़ने या मारने की मांग की थी।

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Sunil

सुनील चंद्र खर्कवाल पिछले 8 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राजनीति और खेल जगत से जुड़ी रिपोर्टिंग के साथ-साथ उत्तराखंड की लोक संस्कृति व परंपराओं पर लेखन करते हैं। उनकी लेखनी में क्षेत्रीय सरोकारों की गूंज और समसामयिक मुद्दों की गहराई देखने को मिलती है, जो पाठकों को विषय से जोड़ती है।

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