उत्तराखंड: IAS मंगेश घिल्डियाल रहे एक ऐसे DM जो मिड डे मील में बैठे जाते थे बच्चों के साथ पंगत में
बता दें कि मंगेश का सपना बचपन से ही आईएएस बनना और प्रशासनिक सेवा में जाना था जिसके लिए वो रात दिन मेहनत करते रहते थे। इंदौर और देहरादून में जॉब के दौरान उन्होंने घर में रहकर खुद ही पढ़ाई की और प्रशासनिक सेवा में जाने के लिए दिन रात मेहनत की। 2006 में जब वह देहरादून नौकरी करने के लिए आए थे तब प्रशासनिक सेवा जैसे बड़े-बड़े नौकरियों पर जाने के लिए देहरादून में उस समय कोई कोचिंग सस्थान नहीं थे और ना ही पढ़ाई को लेकर उस समय यहां का माहौल ठीक था। तब उन्होंने खुद ही सेल्फ स्टडी करके एग्जाम दिया और पहले ही प्रयास में आईपीएस की परीक्षा उत्तीर्ण का देश में 131 की रैंक हासिल की। देहरादून में कुछ समय तक रहने के बाद वह हैदराबाद चले गए मगर वह सिविल सर्विस में जाने के लिए जी तोड़ मेहनत भी करते रहे। वर्ष 2011 में उन्होंने दोबारा हैदराबाद में रहते हुए सिविल सर्विसेज एग्जाम दिया जिसमें उन्होंने पूरे देश में चौथी रैंक हासिल कर सभी को गौरवान्वित किया। मंगेश घिल्डियाल एक जुझारू और कर्मठ आईएएस अधिकारी हैं जो शुरू से ही प्रशासनिक सेवा में जाना चाहते थे इसके लिए जी तोड़ मेहनत की और 2011 में पूरे देश में चौथी रैंक हासिल कर अपना सपना पूरा किया। उस समय उनको भारतीय विदेश सेवा यानी इंडियन फॉरेन सर्विसेज में जाने का मौका मिला। मगर उन्होंने अपनी सेवा देने के लिए उत्तराखंड को ही चुना। उनकी पहली पोस्टिंग चमोली जिले में हुई थी जहां उन्हें मुख्य विकास अधिकारी का पद संभाला था।
(Mangesh Ghildiyal IAS Biography)
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पारिवारिक जीवन (Family life ):-
उनके पारिवारिक जीवन की बात करे तो उनकी माता एक कुशल ग्रहणी और उनके पिता एक शिक्षक हैं।उनकी पत्नी का नाम ऊषा घिल्डियाल है जो कि पहले गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर में सीनियर वैज्ञानिक थी। लेकिन वर्तमान में वह नौकरी छोड़कर रुद्रप्रयाग जिले में शिक्षा की बढ़ोतरी के लिए कार्य कर रही है और एक बेहतरीन समाज सेविका के रूप में आगे बढ़ रही है। साथ ही उनकी बेटी भी है।
कार्य क्षेत्र एवं चर्चित कार्य (Area of work and popular work):-
IAS मंगेश घिल्डियाल जांबाज आईएएस अधिकारियों में से हैं जो हमेशा ही जनता के दुख और समस्याओं को समझने के लिए तत्पर रहते हैं और उनका तुरंत समाधान निकालते हैं। वह हमेशा से युवाओं के प्रेरणा स्रोत और मार्गदर्शक रहे हैं। IAS अधिकारी बन जाने के बाद उनकी सर्वप्रथम पोस्टिंग उत्तराखंड के चमोली जिले में हुई थी जहां उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी के पद को संभाला था।
बागेश्वर जिले में डीएम के पद पर रहते हुए सराहनीय एवं लोकप्रिय कार्य (Commendable and popular work while holding the post of DM in Bageshwar district):-
वर्ष 2017 में उनकी पोस्टिंग बागेश्वर हुई। जहां उन्होंने डीएम के रूप में काम किया। डीएम के रूप में कार्यरत रहते हुए उन्होंने ना सिर्फ क्षेत्रीय जनता और लोगों की समस्याओं का समाधान किया बल्कि बागेश्वर जिले के कई युवाओं को सिविल सर्विसेज में जाने के लिए प्रेरित कर निशुल्क कोचिंग भी दी। सुबह अपने 2:30 से 3 घंटा समय निकालकर कोचिंग संस्थानों में बच्चों को सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए फ्री पढ़ाते थे और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करते थे।
(Mangesh Ghildiyal IAS Biography)
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रुद्रप्रयाग जिले में तैनात रहते हुए किए गए सराहनीय कार्य तथा अखबार की सुर्खियों में नाम (Commendable work done while posted in Rudraprayag district and name in newspaper headlines):-
कुछ समय तक बागेश्वर में कार्यरत रहने के बाद उनकी पोस्टिंग 2017 में ही रुद्रप्रयाग जिले में हुई और वे रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी बने। 3 साल रुद्रप्रयाग में तैनाती के बाद वर्ष 2020 में वह टिहरी जिले के जिलाधिकारी बने। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने जनता के लिए जी तोड़ मेहनत कर इस प्रकार काम किया किए कि वह आए दिन अखबारों की सुर्खियों में भी रहें। बेहद मेहनती और अपने कार्यों से जनता के दिलों पर राज करने आईएएस ऑफिसर मंगेश घिल्डियाल जिस भी जिले में डीएम के पद पर तैनात रहे वहां उन्होंने अपने कार्यों से एक अमिट छाप छोड़ी है। वह ऑफिस में ना रहकर प्रत्येक गांव में पैदल जा जाकर जनता की समस्या सुनते थे और जनता की समस्या के लिए चौपाल भी लगाते थे। वे जनता के दिलों में इस प्रकार राज करते थे कि जिस भी जिले से उनका तबादला होता था वहां के क्षेत्रीय जनता सड़कों पर उतर आती थी। जनता से उनका इस प्रकार का अटूट भावनात्मक नाता था कि लोग उनके तबादला होने पर सरकार को अपना दुश्मन समझने लग जाते थे।और उनका तबादला रुकवाने के लिए हर प्रकार के प्रयत्न करते थे। उनका जिस भी जिले से उनका तबादला होता था तो उस क्षेत्र की जनता की आंखों में उन से बिछड़ने का दर्द स्पष्ट रूप से दिखता था। क्षेत्रीय जनता उन्हें ऐसा प्यार देती थी जैसे एक माता पिता अपने पुत्र को देते हैं।
(Mangesh Ghildiyal IAS Biography)
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जब वह रुद्रप्रयाग में डीएम के पद पर तैनात थे तो उस समय अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने रुद्रप्रयाग की जनता के लिए इस प्रकार काम किया कि रुद्रप्रयाग की क्षेत्रीय जनता उन्हें कभी भुला नहीं पाई। उन्होंने अपने डीएम पद पर तैनात रहते हुए रुद्रप्रयाग जिले में कई ऐसे कार्य किए कि जो कि काफी सराहना के काबिल थे।वह ग्रामीणों के बीच बैठकर उनकी समस्याएं बेहद आम इंसान बन कर सुनते थे साथ ही वे न सिर्फ उनकी बल्कि युवाओं और बच्चों के भविष्य को लेकर हमेशा सतर्क भी रहते थे। रुद्रप्रयाग में अपने कार्यकाल के दौरान जब वह राष्ट्रीय बालिका इंटर कॉलेज स्कूल का निरीक्षण करने गए थे तो तब प्रिंसिपल ने डीएम मंगेश घिल्डियाल को स्कूल में शिक्षकों की कमी और उनसे होने वाले समस्या के बारे में बताया तो बच्चों का भविष्य बर्बाद ना हो उसके लिए इस जांबाज अधिकारी ने ना सिर्फ स्वयं बल्कि उनकी पत्नी इनका घिल्डियाल ने भी इस प्रकार कार्य किया कि वह अखबारों की सुर्खियां बने रहे। स्कूल में शिक्षकों की कमी को देखते हुए डीएम और उनके पत्नी स्वयं स्कूल में आकर फ्री सेवा देने लगे और सभी बच्चों को पढ़ाने लगे। वह अपने कार्यों से समय निकालकर रोज 2 से 3 घंटे स्कूल के बच्चों को पढ़ाने आते थे। रुद्रप्रयाग जिले के बच्चों का भविष्य बर्बाद ना हो उसके लिए सिर्फ मंगेश घिल्डियाल बल्कि उनकी पत्नी उषा घिल्डियाल भी उनके इस कार्य में साथ देने लगी और अपनी नौकरी छोड़ शिक्षक बनकर बच्चों को फ्री शिक्षा देने लगी। यही नहीं आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी जिस गांव में आज तक एक भी सरकारी अफसर और जाने-माने नेता नहीं पहुंच पाए थे। उस गांव में पहुंचने वाले पहले अधिकारी मंगेश घिल्डियाल ही थे जिन्होंने जिले के दूरस्थ ग्राम पंचायत अखोड़ी पहुंचकर न सिर्फ वहां का भ्रमण किया बल्कि चौपाल लगाकर वहां के ग्रामीणों कि समस्या भी सुनी और उसको ठीक करने का आश्वासन भी दिया ।
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रुद्रप्रयाग जिले में डीएम पद पर तैनात रहते हुए फिर दोबारा चर्चा में तब आए जब वह अपने स्कूली परीक्षण के दौरान रुद्रप्रयाग में प्राथमिक विद्यालय डोभा पहुंचे थे जहां उन्होंने बच्चों के लिए बनने वाला भोजन मिड डे मील का परीक्षण तो किया ही साथ ही उनके साथ पंगत में बैठकर मिड डे मील भी खाया। साथ ही बच्चों के साथ एक अधिकारी जैसा व्यवहार ना करते हुए अभिभावकों की तरह मिलनसार बनकर उन्हें टोफिया भी बाटी। डीएम मंगेश घिल्डियाल का न केवल व्यक्तित्व साधारण था बल्कि इनका कार्य करने का ढंग भी अत्यंत निराला था। बात करें केदारघाटी की तो जब केदारघाटी में भयंकर आपदा के बाद पुनर्निर्माण का कार्य जोरों पर था तो अधिकारियों के द्वारा कार्य को समय पर पूरा ना होने को लेकर बहुत शिकायतें आ रही थी।जब यह बात आईएएस अधिकारी के कानों तक पहुंची तो उन्होंने भेष बदलकर खुद कार्यों का जायजा लिया वह 2 दिन तक भेष बदलकर वहां घूम रहे थे मगर उन्हें कोई भी नहीं पहचान पाया। तत्पश्चात 2 दिन तक कार्यों का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने अधिकारियों को केदारनाथ में कार्यों में रुकावट आने वाली व्यवस्थाओं की कमियों को पूरा करने के निर्देश दिए। रुद्रप्रयाग में अपने 3 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई क्षेत्रों का भ्रमण किया और लोगों की समस्याएं सुनी और हर प्रयास पर खरे उतरे। उन्होंने न सिर्फ स्कूल एवं सरकारी कामकाज बल्कि आमजन के प्रत्येक समस्याओं को सुना और उसे पूरा किया। बेहद मिलनसार स्वभाव वाले डीएम मंगेश घिल्डियाल का तबादला जब साल 2020 में टिहरी हुआ तो रुद्रप्रयाग की जनता के बीच मायूसी छा गई और अपने पसंदीदा डीएम मंगेश घिल्डियाल का तबादला रोकने के लिए भरपूर प्रयास करने लगे। वह उनका तबादला रोकने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे मगर सरकार के आगे किसी की नहीं चलती इस बात से वे बेखबर थे। साल 2020 में उनका तबादला रुद्रप्रयाग से होकर टिहरी जिले में हो गया। आईएसए मंगेश घिल्डियाल ने न सिर्फ बागेश्वर और रुद्रप्रयाग बल्कि टिहरी में भी तैनात रहते हुए कोरोना काल के समय कई ऐसे कार्य के जिसकी खूब सराहना की गई।
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कार्यों से प्रेरित होकर जब नरेंद्र मोदी ने भेजा था पीएमओ इंडिया के लिए बुलावा (Inspired by works when Narendra Modi sent a call to PMO India):-
उनके कार्यों की चर्चा ना सिर्फ उत्तराखंड बल्कि संपूर्ण देश में थी उनके कार्यों से प्रभावित होकर नरेंद्र मोदी ने उन्हें पीएमओ इंडिया के लिए बुलावा भेजा था। केदारनाथ में जब वह पुनर्निर्माण के कार्यों का जायजा लेने के लिए भेष बदलकर पहुंचे थे तो तब इसकी चर्चा ना केवल उत्तराखंड बल्कि संपूर्ण देश में हुई थी। उनके इस सराहनीय कार्य से प्रेरित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें PMO India का बुलावा भेजा था। वर्तमान में वह अपने शानदार कार्यों के कारण पीएमओ इंडिया में तैनात हैं। और वहां भी अपने कार्यों से सभी को प्रेरित करते आ रहे हैं।
तो यह थे उत्तराखंड के एक ऐसे डीएम जिन्होंने न सिर्फ अपने शैक्षिक और तार्किक विचारों से बल्कि अपने मेहनत एवं मानवीय गुणों से सभी के दिलों में जगह बना कर एक ऐसी उपाधि हासिल की जिसकी आज हर कोई सराहना करता है।वह न सिर्फ लोगों की समस्याओं का समाधान बल्कि देश में होने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ भी सख्त हैं उनका कहना है कि जो अधिकारी सरकार के द्वारा दिए जाने वाले तनख्वाह के बाद भी घूस लेता है उनकी लिस्ट सरकार को भेजकर उन्हें हमेशा के लिए रिटायरमेंट करा देना चाहिए।
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