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उत्तराखंड में आज मनाया जाएगा जागड़ा राजकीय मेला पर्व जानिए इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य

Jagda festival Mahasu uttarakhand: महासू देवता के सम्मान में मनाया जाता है जौनसारी जनजाति द्वारा जांगड़ा पर्व 

उत्तराखंड की भूमि हमेशा से ही आकर्षण का केंद्र रही है यहां के रीति रिवाज से लेकर लोक पर्व एवं त्योहार सभी अपने में विशेष महत्व रखते हैं। इस भूमि में आपको किसी न किसी क्षेत्र में देवताओं के नाम पर अनेकों त्योंहारों, मेला एवं पर्वों की धूम देखने को मिलेगी। उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में देवी देवताओं के नाम पर मनाए जाने वाले इन्हीं पर्वों में से आज हम आपको टिहरी गढ़वाल में स्थित लालूर पट्टी और देहरादून के आसपास का क्षेत्र “जौनसार भाबर” में मनाए जाने वाला एक बहुत ही खास पर्व “जागड़ा पर्व”और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे।
(Jagda festival Mahasu uttarakhand)
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जागड़ा पर्व कहां मनाया जाता है ( where is Jagda festival celebrated ):- जागड़ा बड़े ही उत्सव एवं धूम के साथ मनाए जाने वाला एक विशेष पर्व है जो की  जनजाति जौनसारी के लोगों द्वारा मनाया जाता है। जौनसारी जनजाति भाबर क्षेत्र व देहरादून के चकराता, कालसी, त्यूनी, लाखामंडल क्षेत्र, टिहरी का जौनपुर और उत्तरकाशी के परग नेकान क्षेत्र में निवास करते हैं। यह महोत्सव रात को जागरण के भांति मनाया जाता है जागड़ा का मतलब होता है रात की जागरण। इसमें रात भर व्रत लेकर महासू देवता की पूजा अर्चना की जाती है।
क्यों और कब मनाया जाता है जांगड़ा पर्व (Why and when is Jagda festival celebrated? ):- यह पर्व जौनसार भाबर के लोगों द्वारा हर साल भाद्रपद महीने के तीसरे या चौथे दिन हरतालिका तीज पर उनके प्रसिद्ध लोक देवता “महासू” देवता (जो कि भगवान शिव के अवतारी माने जाते हैं) के सम्मान में मनाया जाता है।

JAGDA FESTIVAL MELA UTTARAKHAND
कब मनाया जाएगा 2023 में जागड़ा पर्व
(When will Jagda festival be celebrated in 2023?)
इस साल यह त्यौहार 19 सितंबर को यानी आज मनाया जा रहा है।
(Jagda festival Mahasu uttarakhand)
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जानिए जागड़ा पर्व से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
(Know some interesting facts related to Jagda festival )

• जागड़ा पर्व एक प्रकार का खास महोत्सव है जो की महासू देवता समाज के उपलक्ष में मनाया जाता है
• महासू देवता जौनसार भाबर क्षेत्र में स्थित जौनसार जनजाति के लोगों के बड़े ही चमत्कारी लोक लोक देवता माने जाते हैं।
• वैसे तो यह पर्व पूरे जौनसार भाबर क्षेत्र के प्रत्येक महासू देवता मंदिरों में मनाया जाता है लेकिन देहरादून के जौनसार भाबर क्षेत्र में टोंस नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध हनोल महासू देवता मंदिर में इस महोत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाने की परंपरा है।
• इस मंदिर में जागड़ा पर्व पर दूर-दूर से भक्तगण हजारों की संख्या में महासू देवता के दर्शन करने आते हैं।
• इस पर्व पर हर साल विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसके लिए महासू देवता के मंदिरों को सजाया जाता है।
• इस पर्व में शामिल होने न सिर्फ जौनसार भाबर बल्कि टिहरी, जौनपुर, गिरी, रवाई, हिमाचल प्रदेश के जुगल, सिरमौर क्षेत्र के अलावा कई राज्यों के लोग भी आते हैं।
• यह महोत्सव रात को जागरण के भांति मनाया जाता है। इसमें भक्तों द्वारा रात भर बिना कुछ खाए महासू देवता की पूजा अर्चना की जाती है।
• इस पर्व में महासू देवता के देव डोला या पालकी को टोंस नदी में नहलाने की परंपरा है।
• मान्यता अनुसार महासू देवता के देव डोले को जमीन पर कहीं भी रखने की परंपरा नहीं है जिस कारण मंदिर से नदी में नहलाने तक और फिर मंदिर वापस रखने तक भक्तगण कहीं पर भी देवता के डोले को नहीं रखते बल्कि एक भक्त द्वारा दूसरे भक्त के कंधे पर रखकर देव डोले को मंदिर में कुशलता पूर्वक प्रवेश कराया जाता है।
• जौनसार भाबर में स्थित हनोल महासू देवता में मंदिर में इस पर्व पर विशेष महोत्सव होता है जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु हनोल स्थित महासू देवता आते हैं।
• इस पर्व में महासू देवता को प्रश्न करने के लिए कई प्रकार के वाद्य यंत्रों और ध्वनि के साथ कार्यक्रम और नृत्य करने की परंपरा है
• मंदिर में दिशा ध्यानयों द्वारा महासू देवता के सम्मान हेतु तरह के लोक नृत्य किए जाते हैं।
• इस उत्सव में शामिल होने के लिए न सिर्फ भक्तगण बल्कि कई प्रकार के बड़े-बड़े अधिकारी और नेता भी शामिल होते हैं।
(Jagda festival Mahasu uttarakhand)

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