harsil valley uttarakhand: राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित है हर्षिल घाटी, हरे भरे सेबों के साथ ही अपनी शांत एवं मनमोहक वादियों के लिए है विश्व प्रसिद्ध, जानें इसका इतिहास….
उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता विश्व भर में चर्चित है यहां के टेढ़े मेढ़े रास्ते, ऊंचे ऊंचे पहाड़ और इन पहाड़ों के बीच स्थित सुंदर – सुंदर सजी मनमोहक घाटियां सभी को अपनी और आकर्षित करती हैं आंखों को स्वर्ग की अनभूति कराने वाली ऐसी ही एक घाटी उत्तराखंड राज्य में स्थित है जो हर्षिल वैली (Harshil Valley) के नाम से जानी जाती है यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्व भर में विख्यात है। चारों ओर ऊचे ऊचे पहाड़ों और घने देवदारों के वृक्षों से आच्छादित होने के कारण यह घाटी बहुत खूबसूरत लगती है जिसके तलहटी पर भागीरथी नदी का नीला पानी कल कल करते हुए बहता है। अपनी इसी खूबसूरती के कारण इस घाटी ने समय-समय पर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है जिसके कारण आज इसकी सुंदरता का हर कोई कायल है और दूर-दूर से लोग इसकी सुंदरता को निहारने आते हैं। भागीरथी नदी के किनारे पर बसा हर्षिल उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है जिसकी उचाई समुद्रतल से 2620 मीटर है। हर्षिल घाटी उत्तराखंड के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर हर्षिल घाटी जिसमें कल कल करता भागीरथी नदी एवं जलंधरी नदी का गहरा नीला पानी, चह चहाती रंग बिरंगी चिड़िया, लहलहाते फूल, हरे-भरे घास के मैदान, एवं घने देवदार के पेड़ वास्तव में धरती पर स्वर्ग का एक जीता जागता उदाहरण है ।अपनी भौगोलिक पर्यावरण के लिए यह देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है और इसकी तुलना यूरोप देश में स्थित स्विजरलैंड से की जाती है।
(harsil valley uttarakhand)
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हर्षिल घाटी का इतिहास एवं खोज (History and Discovery Of Harsil Valley):-
चारों तरफ से ऊंचे ऊंचे घने देवदार पेड़ों के जंगलों के बीच स्थित हर्षिल(Harsil) कभी एक छोटा सा गांव हुआ करता था। जिसका वातावरण बहुत ही शांत था एवं घाटी ठंडी हवा से परिपूर्ण थी। कलकल बहती साथ में भागीरथी कि नीली जलधारा इसकी सुंदरता पर चार चांद लगाती थी। इस जगह की खोज सर्वप्रथम 1857 में ब्रिटिश सेना के एक अंग्रेज सिपाही फ्रेडरिक विल्सन ने की थी। फ्रेडरिक विल्सन ईस्ट इंडिया कंपनी में एक सिपाही थे। 1857 में जब इन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी में इस्तीफा दिया तो वह पहाड़ों की ओर रुख करने लगे वह गढ़वाल की हिमालय क्षेत्रों की ओर भ्रमण करने लगे। भ्रमण करते करते जब वे उत्तरकाशी जिले में हरशिला नामक इस जगह पर आए तो उन्होंने देखा कि भागीरथी के तट पर बसा यह गांव काफी सुंदर एवं शांत वातावरण का है। इस जगह की शांति एवं प्राकृतिक सुंदरता उन्हें इतना भाग गई कि उन्होंने इस जगह पर बसने का मन बना लिया। धीरे-धीरे वे स्थानीय लोगों से बोली और भाषा सीखने लगे और बाद में यहां की एक पहाड़ी लड़की से शादी करके इसी घाटी के गांव में बस गए। धीरे-धीरे विल्सन इस जगह को विकसित करने में लग गए और इंग्लैंड से आलू और सेब के पौधे मंगाकर इस घाटी में लगाने शुरू करने लगे। धीरे-धीरे यह घाटी सेब के लिए प्रसिद्ध होने लगी ।आज भी हर्षिल की घाटी में सेब की प्रजाति विल्सन के नाम से जानी जाती है औेर वर्तमान में हर्षिल उत्तराखंड में सेब का सबसे अधिक उत्पादन करने वाला इलाका है।वहीं स्थानीय लोग फ्रेडरिक विल्सन को विल्सन राजा कहते हैं। यहां की जलवायु शीतोष्ण है जो सेबों के लिए सबसे अच्छी जलवायु मानी जाती है। इसके अलावा वर्तमान में यह घाटी हल्के छिलके वाली राजमा दाल की खती के लिए भी प्रसिद्ध है।
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कैसे पड़ा हर्षिल नाम ?(How did the name Hersil come about?):-
पहले इस घाटी का नाम पहले हर्षिल ना होकर *हरशिला* था। इस घाटी पर लक्ष्मी नारायण मंदिर भी है इसी मंदिर के कारण इस जगह का नाम हर्षिल घाटी पड़ा। पुराणों के अनुसार इस जगह पर भगवान विष्णु ने हरि रूप में भागीरथी एवं जलांधरी नदी के तेज प्रभाव को शिला (पत्थर) बनकर शांत किया था। जिस कारण इस जगह का नाम हरशिला पड़ा। बाद में एक अंग्रेज अफसर फ्रेडरिक विल्सन ने 1857 में इस जगह का नाम हरशिला से बदलकर हर्षिल(Harsil) एवं घाटी (Valley) कर हर्षिल वैली (Harsil Valley) कर दिया।
तो यह थी विश्व भर में विख्यात उत्तराखंड के सबसे सुंदर पर्यटन स्थलों में सुमार हर्षिल वैली। जो प्रकृति प्रेमियों के लिए सबसे अच्छी जगह में से एक है और जहां की मनमोहक शांत हवा रूह को छूकर मन को शांति प्रदान करती है।
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