uttarakhand: जब नहीं आ सका बेटा गांव तो गांव वालों ने की अत्येष्टि…
विश्वयापी महामारी कोरोना के चलते लाॅकडाउन ने हर किसी की जिंदगी को प्रभवित किया है लेकिन ऐसे माहौल में सबसे ज्यादा समस्या उन लोगो को हुई है जो प्रदेश में फसे हुए है, और बहुत मज़बूरी होने के बाद भी घर वापस नहीं आ पा रहे है। जी हां बात है उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले के बेतालघाट की जहाँ गांव वालों ने ही मिलकर एक बुजुर्ग की अंत्येष्टि की। दरअसल लॉकडाउन के चलते ग्राम पंचायत नोघर के रानीबाग तोक में गंगा गिरी को अपनी जिंदगी की अंतिम यात्रा में इकलौते बेटे का कांधा और उसके हाथ से मुखाग्नि भी नहीं मिल पाई। बता दे की उनका बेटा चंदन गिरी हरियाणा में नौकरी करता है। जैसे ही बेटे को पिता के निधन की खबर मिली तो वो तुरंत टैक्सी से अपने गांव बेतालघाट के लिए निकल गया लेकिन काशीपुर में पुलिस पुलिस कर्मियों ने आगे जाने से मना कर दिया। बताते चले की यह प्रदेश की पहली घटना नहीं है जहाँ एक बेटा पिता की अंतेष्टि में नहीं पहुंच सका इस से पहले हल्द्वानी का एक फौजी जवान भी अपने पिता को मुखाग्नि नहीं दे सका।
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काशीपुर में ही रोक दिया पुलिस ने और चंदन को लौटना पड़ा दुबारा हरियाणा:-
प्राप्त जानकारी के अनुसार बेतालघाट के ग्राम पंचायत नोघर के अंतर्गत रानीबाग तोक में गंगा गिरी गांव में अपनी बहु के साथ रहते थे। उनके बेटे को जब पिता के निधन की खबर मिली तो वो टैक्सी बुक कर नैनीताल के लिए रवाना हो गया लेकिन रात एक बजे काशीपुर के ठाकुरद्वारा पहुंचने पर पुलिस कर्मियों ने आगे जाने से मना कर दिया। इसके लिए चन्दन ने परमिशन पास भी दिखाया और गांव वालों से बात भी कराई परन्तु पुलिस वाले नहीं माने और वापस लौट जाने को कहा। इस दौरान चन्दन और पुलिस वालो के बीच लगभग तीन घंटे की बहस भी चली लेकिन अंत में चन्दन दुखी होकर वापस हरियाणा लौट गया। जब गांव वालों को चन्दन के वापस चले जाने की खबर मिली तो उन्होंने मिलकर ही अंत्येष्टि क्रिया कर दी।
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