uttarakhand: डबडबाती आखों से बोले पिता तेरी शहादत पर गर्व है..
जिस गांव में पढ़-लिखकर अमित अण्थवाल बड़ा हुआ था, जिस गांव में अमित का बचपन गुजरा, जिस मिट्टी में दौड़-भागकर अमित ने फौज में भर्ती होने का अपना सपना पूरा किया। आज वही गांव मां भारती के इस वीर सपूत को अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ पड़ा। जहां अमित की शहादत से पूरे गांव में शोक की लहर थी वहीं अमित पर गर्व भी हो रहा था कि प्राण न्यौछावर करने से पहले उनका बेटा अमित कई दुश्मनों को मौत के घाट उतार गया। जी हां.. ऐसा ही कुछ गमहीन माहौल पौड़ी गढ़वाल जिले के कल्जीखाल ब्लॉक स्थित ग्राम क्वाला में था। परिजनों के अंतिम दर्शन के बाद शहीद अमित की अंतिम यात्रा निकाली गई और पार्थिव शरीर को पैतृक घाट ले जाया गया, जहां सेना के जवानों ने शहीद बेटे के पार्थिव शरीर पर चढ़ाने के लिए तिरंगा को पिता नागेंद्र प्रसाद को दिया तो उनकी आंखें डबडबा गई ,फिर वह अपने आंसू नहीं रोक पाए और फफक-फफक कर रो पड़े। पिता की ये तस्वीर साफ-साफ बयां कर रही थी कि आज उनके घर का एकलौता चिराग हमेशा के लिए बुझ गया। इसके बाद उन्होंने अपनी आंखों से आंसू पोंछे और फिर गर्व से बोले कि अमित, देश के नाम तेरी शहादत पर मुझे गर्व है, सच में आज तू हमेशा के लिए अमर हो गया।
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पंचतत्व में विलीन हुआ देवभूमि का वीर सपूत, स्थानीय लोगों ने अपने लाल को दी भावभीनी विदाई:
गौरतलब है कि राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले के कल्जीखाल ब्लॉक स्थित ग्राम क्वाला निवासी अमित कुमार अणथ्वाल बीते रविवार को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के केरन सेक्टर में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए थे। उनका पार्थिव शरीर आज सुबह सेना के हेलीकॉप्टर से पौड़ी पहुंचा जहां मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और सांसद तीरथ सिंह रावत ने राज्य के वीर सपूत को अंतिम श्रद्धांजलि दी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने खुद भी शहीद अमित के पार्थिव शरीर को कंधा दिया। जिसके बाद सेना के वाहन से जवान के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव ले जाया गया। जैसे ही जवान का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो शहीद अमित के परिजनों सहित वहां मौजूद लोगों के आंखों से अश्रुओं की धारा बह निकली। जहां शहीद की मां तो बार-बार बेसुध हो जा रही थी वहीं उसकी दोनों बड़ी बहनों का भी रो-रोकर बुरा हाल था। परिजनों के अंतिम दर्शन के बाद शहीद अमित की अंतिम यात्रा निकालकर उनके पार्थिव शरीर को पैतृक घाट ले जाया गया, जहां उपस्थित विशाल जनसमूह ने मां भारती के इस लाल को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। जिसके बाद शहीद अमित का अंतिम संस्कार किया गया और वह हमेशा के लिए पंचतत्व में विलीन हो गया।
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