Uttarakhand UCC property rules : अवैध शादी से हुई संतान को भी मिलेगा संपत्ति का अधिकार, जानें किस तरह के विवाह होंगे अमान्य…..
Uttarakhand UCC property rules : उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो चुका है जिसके तहत अब अवैध संतान को भी संपत्ति का अधिकार मिलने वाला है इसका मतलब यह है कि अगर किसी व्यक्ति की शादी कानूनी रूप से वैध नहीं है तो उस शादी से पैदा हुए बच्चे को संपत्ति के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाएगा। इतना ही नहीं बल्कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के तहत सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू हो चुका है जिसमें सभी जाति धर्म के लोगों को एक ही तरह के कानून का पालन करना होगा। यदि कोई भी शादी की प्रक्रियाओं का सही तरीके से पालन नही करता है तो उसकी शादी को अवैध माना जाएगा। इस पहल का उद्देश्य पारिवारिक कानून को समान बनाना और महिलाओं तथा बच्चों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करना है चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय से आते हो ।
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uttarakhand UCC rules hindi बता दें उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता UCC लागू होने के बाद कई नियम कानून में बदलाव हो चुका है जिसके चलते अब अवैध शादी से पैदा होने वाली संतानों को भी संपत्ति का अधिकार दिया जाएगा। इतना ही नहीं बल्कि UCC के निर्धारित मानकों को पूरा ना कर पाने पर शादियां अवैध घोषित की जा सकती है । शासन ने शादी की रस्मों को लेकर स्थिति को साफ करते हुए कहा है कि जिस तरह से विवाह समारोह परंपरागत तरीके से पूरे किए जाते हैं उसी तरह से UCC मे भी मान्य होंगे। जिसमे सप्तपदी, निकाह, आशीर्वाद, होली यूनियन या आनंद विवाह अधिनियम 1909 के तहत आनंद कारज शामिल हैं।
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ऐसे करें पंजीकरण uttarakhand Uniform Civil Code:-
उत्तराखंड सरकार की ओर से ऑनलाइन पोर्टल जारी किया गया है जिसमें किसी को भी अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए सरकार की आधिकारिक वेबसाइट Ucc.Uk.Gov.In पर पंजीकरण करना होगा। जिसके लिए सबसे पहले वेबसाइट पर जाकर अकाउंट बनाना होगा इतना ही नहीं बल्कि इसमें शादी करने वालों को अपने जरूरी दस्तावेज जमा करने के साथ ही पंजीकरण फीस भी चुकानी होगी जिसके तहत रजिस्ट्रेशन हो जाएगा तथा सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाएगा। ठीक इसी तरह से लिव इन मे रहने वालो का रजिस्ट्रेशन भी किया जा सकेगा। बताते चलें UCC के तहत उत्तराखंड में शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए कट ऑफ डेट 27 मार्च 2010 रखी गई है। जिसके चलते इसके बाद हुई सभी शादियों का रजिस्ट्रेशन करवाना मान्य रखा गया है जिसके लिए 6 महीने का समय दिया गया है।
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इसके अलावा विशेष विवाह अधिनियम 1954 और आर्य विवाह मान्यकारण अधिनियम 1937 के अनुसार हुए विवाह भी मान्य होंगे। शासन का कहना है कि यह अधिनियम सभी धार्मिक व प्रथागत रीति रिवाज का सम्मान करते हैं हालांकि इसमें विवाह के लिए अधिनियम की बुनियादी शर्तें उम्र मानसिकता क्षमता और जीवित जीवनसाथी का ना होना आदि पूरी की जाए। बताते चलें विवाह के समय किसी पक्षकार का पहले से जीवित जीवनसाथी होना मनोवैज्ञानिक रूप से वैध सहमति देने में असमर्थता या निषिद्ध संबंधों के दायरे में विवाह करना नियमों का उल्लंघन माना जाएगा जिसके तहत विवाह अमान्य होंगे । ऐसी स्थिति में दोनों पक्षकारो में से कोई भी अदालत में याचिका दायर करके विवाह को शून्य घोषित करने की मांग कर सकता है लेकिन इस स्थिति में यदि संतान हो जाती है तो उसे वैध मानते हुए संपत्ति का अधिकार दिया जाएगा।
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